मनमोहक और रंग-बिरंगी छटा बिखेरता बोगेनविलिया | Beautiful Bougainvillea: Colors, Varieties & Complete Care

ylliX

बोगेनविलिया अति सुंदर फूलों वाला निक्टाजिनेसी कुल का पौधा है। इसके आकर्षक फूल वास्तव में फूल न होकर 'ब्रैक्ट्स' हैं, जो फूल को चारों तरफ से घेरे रहता है और भ्रमवश हम इसे फूल ही समझते हैं। बोगेनविलिया के फूल में सुगंध तो नहीं होती पर सफ़ेद, बैंगनी, नीला, लाल, पीला आदि सभी रंगों में इसकी किस्में उपलब्ध हैं, अधिकतर किस्मों की पत्तियां हरी होती हैं, परंतु कई किस्में वेरीगेटेड (चित्तीदार) पत्तियों वाली भी हैं, वेरीगेटेड पत्तियां होने के कारण जब पौधों में फूल नहीं रहते हैं तो भी ये पौधे देखने में अति सुंदर लगते हैं। यह अति कठोर पौधा है। यह सीमित पोषक तत्व तथा कम जल मांग वाला पौधा है, इसलिए इसे लगभग सभी उद्यान प्रेमी अपनी वाटिका में आवश्यक स्थान देते हैं। इसे बहुत ही कम देखरेख में भी अच्छी दशा में रखा जा सकता है।

बोगेनविलिया अति उपयोगी पौधा है। इसे लता के रूप में गेट, पोर्च, खंभे, वृक्ष आदि पर तो चढ़ाया ही जाता है, साथ ही झाड़ीनुमा पौधे के रूप में उगाने के लिए भी प्रमुख स्थान दिया जाता है। आदर्श झाड़ीनुमा किस्में तो इसके बिना अधूरी होती हैं। इसे हेज (बाड़) के रूप में भी पसंद किया जाता है। सुंदर एवं रंग-बिरंगे फूलों के कारण अलंकृत हेज के साथ ही इसकी टहनियों में कांटा रहने के कारण सुरक्षात्मक झाड़ी के रूप में भी, यानी ऐसी जगह, जहां पर मनुष्य एवं खुले पशुओं से उद्यान को सुरक्षा प्रदान करने की आवश्यकता होती है, लगाया जाता है।


मनमोहक और रंग-बिरंगी छटा बिखेरता बोगेनविलिया  Beautiful Bougainvillea Colors, Varieties & Complete Care


भूदृश्य निर्माण में उपयोगिता: बोगनविलिया को गमले में भी आसानी से उगाया जाता है और पौधे को 'बोनसाई' बनाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। साथ ही जहां पर जल बहाव के कारण मिट्टी कटकर बहने की आशंका रहती है, वहां भी मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए ग्राउंड कवर के रूप में लगाया जाता है।


किस्मों का चयन: बोगेनविलिया की बहुत किस्में अभी तक विकसित की जा चुकी हैं। इनके साथ ही और अधिक नई किस्मों के विकास हेतु अनुसंधान कार्य जारी है। प्रायः बोगनविलिया की किस्मों में मुख्य रूप से दो बार फूल खिलता है, पहला, सितंबर से दिसंबर में और दूसरा, फरवरी से जून में। किस्मों का चयन करते समय निम्न बातों पर विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है:
  • पौधे को कहां लगाना है, अर्थात जमीन या गमले में।
  • उद्यान में, सड़क के किनारे, लॉन में, स्पेसिमेन या स्टैंडर्ड पौधे के रूप में या मेहराब, परगोला, हेज के लिए।
  • गमले में बोनसाई के रूप में या झाड़ीनुमा पौधे के रूप में।
  • किस्म की विकास दर कैसी है, बहुत तेजी से बढ़ने वाली है या धीरे-धीरे वृद्धि करने वाली है।
  • पौधे की किस्म की पत्तियां वेरीगेटेड हैं या हरे रंग की हैं।
  • किस्म के फूल का आकार एवं रंग कैसा है।
  • किस्म फूलते समय पत्तीयुक्त रहती है या पत्तीरहित।


प्रवर्धन
  • कटिंग: यह अति आसान तरीका है तथा एक पौधे से सैकड़ों पौधे तैयार किए जा सकते हैं। कटिंग के लिए सॉफ्ट (मुलायम तना) हार्ड (कड़ा तना), एवं सेमी हार्ड वुड (अर्ध कड़ा तना) को प्रयोग में लाया जाता है। इन तीनों में से हार्ड वुड कटिंग ही बोगनविलिया के लिए उत्तम पाई गई है। कटिंग लगाने का उपयुक्त समय जुलाई, अगस्त या जनवरी, फरवरी का महीना होता है। कटिंग 10-15 सेमी लंबी होनी चाहिए, जिसे रूटिंग मीडिया या मोटे बालू में जड़ निकलने हेतु लगाते हैं, टहनी लगभग पेंसिल की मोटाई की होनी चाहिए।


भूमि: लगभग हर तरह की मिट्टी में इसे उगाया जा सकता है, बशर्ते जल निकास का उत्तम प्रबंधन हो। इतना ही नहीं पहाड़ियों एवं पत्थरों के बीच भी, जहां थोड़ी सी भी भूमि उपलब्ध हो, इसे आसानी से उगाया जा सकता है, परंतु हल्की बलुवा दोमट या लाल मिट्टी अति उत्तम होती है।


जलवायु: यह मुख्य रूप से गर्म एवं समशीतोष्ण जलवायु का पौधा है तथा खुले स्थान में, जहां पूरा दिन धूप मिलती हो, अच्छी तरह से उगाया जा सकता है। ठंडी जलवायु में कुछ किस्मों का विकास नहीं होता है, जबकि बोगेनविलिया स्पेक्टाबिलिस एवं बोगेनविलिया ग्लैब्रा प्रजातियों की किस्में ठंड सहन करने की क्षमता रखती हैं। पहाड़ी क्षेत्रों के लिए, बोगेनविलिया ग्लैब्रा की किस्म सैंडेरियाना बहुत ही अच्छी तरह से काफी ऊंचाई पर भी, अर्थात समुद्र तल से लगभग 610 से 2,285 मीटर की ऊंचाई तक उगाई जा सकती है।


स्थान: पूर्ण रूप से प्रकाशयुक्त स्थान अति उपयुक्त होता है। यदि इसे छायादार जगह में लगाया जाता है तो या तो पौधों में फूल आते ही नहीं या बहुत ही कम संख्या में खिलते हैं। प्रकाशयुक्त होने के साथ-साथ वह स्थान ऊंचा भी होना चाहिए जिससे वहां पर जल जमाव न हो सके।


रोपाई: पौधों की रोपाई करने के लिए स्थान का चयन करने के बाद 60-65 सेमी आकार का गहरा गड्ढा अप्रैल-मई माह में ही खोदना चाहिए तथा इसे 15-20 दिनों तक खुला छोड़ दें, जिससे गर्म धूप से मिट्टी अच्छी तरह उपचारित हो जाए। पौधे रोपने का उपयुक्त समय जुलाई से अगस्त होता है। इसके अलावा फरवरी मार्च में भी अति आवश्यक होने पर एवं पानी की समुचित व्यवस्था रहने पर रोपाई कर सकते हैं।


खाद एवं उर्वरक: पौधे की रोपाई के समय 10-15 किलोग्राम अच्छी तरह से सड़ा हुआ कंपोस्ट या गोबर की खाद प्रत्येक गड्ढे में मिट्टी के साथ मिलाकर दें। इसके बाद प्रत्येक वर्ष लगभग 250 ग्राम हड्डी का चूरा प्रति पौधे को देने से पौधा स्वस्थ रहता है। यदि पौधे की वृद्धि संतोषजनक न हो रही हो तो उर्वरक का उपयोग करना आवश्यक होता है। इसके लिए विभिन्न मिश्रण का उपयोग 250 ग्राम प्रति पौधे की दर से जून में करना चाहिए। 100 ग्राम अमोनियम सल्फेट, 75 ग्राम सुपर फास्फेट, 75 ग्राम पोटेशियम सल्फेट मिलाकर देना चाहिए।


सिंचाई: बोगेनविलिया के विकसित पौधे को बहुत ही कम पानी की आवश्यकता होती है, परंतु नए रोपे गए पौधे को पानी देना आवश्यक होता है। पानी कम मात्रा में कई बार में देना श्रेयस्कर होता है, कभी भी एक बार में ज्यादा पानी देना उचित नहीं होता है।


कटाई-छंटाई: पौधे को स्वस्थ एवं आकर्षक बनाए रखने एवं उचित आकार देने के लिए कटाई-छंटाई एक आवश्यक क्रिया है। छंटाई करने से नई शाखाएं निकलती हैं, जो काफी स्वस्थ होती हैं। छंटाई किस तरह की जाए, यह कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे पौधे को किस उद्देश्य से लगाया गया है, स्टैंडर्ड, हेज, नमूनेदार, (स्पेसिमेन), मेहराब या परगोला बनाने अथवा दीवार पर चढ़ाने या बोनसाई बनाने के लिए आदि।


गुट्टी: इस विधि को एयर लेयरिंग के नाम से जाना जाता है। कुछ किस्मों के तने में कटिंग द्वारा जड़ें कम निकलती हैं, फलस्वरूप कटिंग द्वारा प्रवर्धन करने से सफलता भी बहुत ही कम मिलती है, जैसे फारमोसा, लेटरिटिया, स्पिसियोसा, थीमा, मेरी पामर, महरा आदि किस्मों में। अतः इन किस्मों का प्रवर्धन गुट्टी विधि से करना चाहिए। इसके लिए उपयुक्त समय जुलाई, अगस्त का महीना होता है। इस विधि से प्राप्त पौधे आकार में भी बड़े होते हैं।


कीट एवं रोग: बोगेनविलिया के पौधे में रोग एवं कीटों का प्रभाव बहुत ही कम देखा गया है कभी-कभी किसी किस्म के पौधे में लीफ स्पॉट नामक रोग हो जाता है। इसके नियंत्रण के लिए 0.03 प्रतिशत ब्लाइटॉक्स दवा का घोल तैयार कर 15 दिनों के अंतराल पर 2-3 छिड़काव करें।

कभी-कभी लीफ कर्ल (पत्तियों का ऐंठना) भी देखा गया है। यह 'माइट' नामक कीट के आक्रमण से होता है। ये कीट पत्तियों का रस चूस लेते हैं। इससे पत्तियां विकृत हो जाती हैं। इसके नियंत्रण के लिए केलथेन दवा का 0.1 प्रतिशत का घोल तैयार कर 15-20 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए।


किस्में: चयन करने से पूर्व किस्मों को उसके आकार, प्रकार, वृद्धि एवं उपयोग करने के उद्देश्य से निम्न वर्गों में विभाजित किया जा सकता है:
  • हेज तैयार करने के लिए उपयुक्त किस्में: फारमोसा, पार्थ, सैंडेरियाना।
  • झाड़ीनुमा एवं छोटे पौधे वाली किस्में: साइफेरी, एच. बी. सिंह, फारमोसा, गोल्डन ग्लो, सैंडेरियाना।
  • बड़े आकार के पौधों वाली झाड़ीनुमा किस्में ज्यादातर इस वर्ग में ही आती हैं। यदि सही समय पर, उचित तरीके से काट-छांट कर इस किस्म के पौधों को तैयार किया जाए तो छातानुमा, गोलाकार, त्रिकोणाकार, आदि रूप दिया जा सकता है। मुख्यत: किस्में हैं: जयलक्ष्मी, लेडी मेरी बारिंग, थीमा, शुभ्रा, मीरा, स्कारलेट, ओहरा, टोमेटोरेड, पार्थ, मेरी पामर, मिसेज मनीला और लुई बाथेन आदि।
  • लता के रूप में उपयुक्त किस्में: मेरी पामर, मिसेज एच. सी. बक, महरा, लुई बाथेन, लेडी मेरी बारिंग।
  • गमले में लगाने के लिए किस्में समर टाइम, लास बेनास ब्यूटी, आर. आर. पाल, शुभ्रा, सोनेट, आइसोल ग्रीनस्मिथ, टोमेटोरेड वाजिद अली शाह।
  • मेहराब एवं परगोला बनाने या वृक्ष पर चढ़ाने के लिए: मैग्निफिका, मिसेज एच. सी. बक, लेडी मेरी बारिंग, मेरी पामर।
  • बौना बोनसाई बनाने हेतु: मीरा, जयलक्ष्मी, एलिजाबेथ, पार्थ, थीमा, मेरी पामर, शुभ्रा।
  • वातानुकूलित कमरे में कटे फूल के रूप में फूलदान में सजाने हेतु उगाने के लिए किस्में: महरा, मेरी पामर, शुभ्रा, स्प्लेंडेंस।

ylliX

Post a Comment

और नया पुराने