जिप्सोफिला से बढ़ाएँ पर्यावरण में सौंदर्य | Gypsophila: Symbol of Beauty and Freshness

बेबीज ब्रीथ, जिसे वैज्ञानिक रूप से जिप्सोफिला पैनिकुलटा (बारहमासी) और जिप्सोफिला एलिगेंस (वार्षिक) के रूप में जाना जाता है यह फूल कैरियोफिलेसी परिवार का एक सदस्य है। इस विविध जीनस में लगभग 150 प्रजातियाँ हैं। इसका सामान्य नाम ग्रीक शब्द 'जिप्सोस' से लिया गया है, जिसका अर्थ जिप्सम है, और 'फिलोस' का अर्थ दोस्ती है। यह नाम चूना मिट्टी में उगने की क्षमता के कारण दिया गया है। भारत में जिप्सोफिला राजस्थान, गुजरात, जम्मू और कश्मीर और पंजाब के कुछ हिस्सों में उगाया जाता है।

जिप्सोफिला की विशेषता इसकी बहु-शाखाओं वाले, पतले तने और विपरीत लांस के आकार की पत्तियां हैं, जो 3 इंच तक लंबी हो सकती हैं। वार्षिक प्रकार की किस्में 40-50 सेंटीमीटर तक ऊँची होती हैं। इनमें सफेद, कैरमाइन, लाल गुलाब और गहरे गुलाबी रंग के बड़े या छोटे फूल होते हैं, जबकि बारहमासी किस्में 90 सेंटीमीटर तक बढ़ती हैं। इनमें सफेद और गुलाबी रंग के एकल और दोहरे फूल होते हैं।
 

जिप्सोफिला से बढ़ाएँ पर्यावरण में सौंदर्य  Gypsophila Symbol of Beauty and Freshness


जिप्सोफिला की कई प्रजातियों की बागवानी उनकी अद्वितीय सुंदरता के लिए की जाती है। उनके नाजुक, बादल जैसे सफेदी वाले फूल एक अलग और निराली छटा बिखेरते हैं। इससे ये रॉक गार्डन और मिश्रित बॉर्डर, फुलवारी, किनारों पर लगाने के लिए उपयुक्त पाए जाते हैं। इनका आकर्षण केवल बगीचों तक ही सीमित नहीं है। ये अलौकिक फूल, फूलों की सजावट में भी प्रमुख बन गए हैं, जो हल्कापन और सुंदरता का स्पर्श जोड़ते हैं। जिप्सोफिला पैनिकुलटा और जिप्सोफिला एरोस्टी की जड़ों को सैपोनिन औषधियों के रूप में जाना जाता है और इन्हें डिटर्जेंट और कफ संबंधी रोगों की औषधि बनाने के रूप में उपयोग किया जाता है।


किस्में: ब्रिस्टल फेयरी, मिलियन स्टार, परफेक्ट, स्नोबॉल, अर्बेल, टेवर, यूकिंको, फ्लेमिंगो आदि।


मिट्टी: जिप्सोफिला किसी भी उचित जल निकासी वाली मिट्टी में उगाया जा सकता है। सामान्य से अधिक चूनायुक्त हल्की मिट्टी इसकी वृद्धि और विकास के लिए सबसे उपयुक्त होती है। किंतु कार्बनिक पदार्थ से भरपूर और उच्च जल धारण क्षमता वाली मिट्टी को प्राथमिकता दी जाती है। मृदा सौरीकरण से जिप्सोफिला के पौधे की वृद्धि, गुणवत्ता तथा उपज में सुधार होता है, खासकर जब इसे एकल फसल प्रणाली के रूप में उगाया जाता है।


जलवायु: यह ठंडे मौसम की फसल है लेकिन बहुत अधिक सर्दी के लिए अतिसंवेदनशील है। इसे पाले से बचाने की आवश्यकता होती है। जिप्सोफिला को मध्यम ऊंचाई वाले स्थानों पर तथा मानसून के दौरान हल्की वर्षा वाले स्थानों पर भी उगाया जा सकता है। जिप्सोफिला की अच्छी वृद्धि और अच्छे पुष्पन के लिए खुले और धूप वाले स्थान का होना आवश्यक है। जिप्सोफिला के वर्ष भर उत्पादन के लिए इष्टतम प्रकाश और तापमान की दशाएं प्रदान करने हेतु कृत्रिम रोशनी और ऊष्मक यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।


बुवाई और रोपण: भारतीय परिस्थितियों के लिए, बीजों की बुवाई शुरुआती वसंत में की जानी चाहिए, क्योंकि कम तापमान में फसल की प्रारंभिक वृद्धि और विकास अच्छा होता है। जिप्सोफिला में बुवाई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 50 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर रखी जाती है।


खाद और उर्वरक: जिप्सोफिला उच्च मूल्य वाली फसल है, इसलिए इसकी खेती में जैविक खाद को प्राथमिकता दी जाती है। आमतौर पर भूमि की तैयारी के दौरान जैविक खाद को मिट्टी में मिलाया जाता है। रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग आवश्यकता आधारित फर्टीगेशन के रूप में किया जाता है।


सिंचाई: जिप्सोफिला उगाने में सिंचाई जल समय से देना बहुत ही आवश्यक है। सक्रिय वानस्पतिक वृद्धि के लिए पौधों को समय से पर्याप्त जल की आवश्यकता होती है। यह फसल सूखे और जलभराव दोनों के प्रति संवेदनशील है। यदि ड्रिप सिंचाई के माध्यम से जल की आपूर्ति की जानी है तब उस दशा में 30 सेंटीमीटर की ड्रिप लाइन का प्रयोग किया जाता है।


खरपतवार नियंत्रण: यदि खरपतवार एक गंभीर समस्या है तो जिप्सोफिला को प्लास्टिक मल्च के माध्यम से लगाया जा सकता है। खरपतवार के बीजों को अंकुरित होने से रोकने के लिए रोपण से पूर्व शाकनाशी का उपयोग किया जा सकता है। फसल में घास के खरपतवारों को चयनात्मक शाकनाशी का उपयोग करके नियंत्रित किया जा सकता है।


जाल लगाना: जिप्सोफिला के तने लंबाई में बढ़ते हैं। इस कारण इनके जमीन पर गिरने की आशंका बनी रहती है। इस प्रकार तनों को सीधा रखने और उनकी अच्छी प्रकार से बढ़वार करने के लिए रोपण के तुरंत बाद फसल के ऊपर 20 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर एक जाल लगाया जाता है।


पिंचिंग: यह क्रिया तब की जाती है जब जिप्सोफिला के पौधे 15 सेंटीमीटर ऊंचाई के होते हैं। जिप्सोफिला के प्रथम वर्ष के स्टॉक को मुख्य केंद्रीय पार्श्व को हटाने के साथ पिंचिंग की आवश्यकता होती है। जब पौधों की ऊंचाई 15 सेंटीमीटर हो तो पिंचिंग करें। पिंचिंग के 4 दिनों बाद जिबरेलिक अम्ल 250 पीपीएम का छिड़काव करना चाहिए। देरी से विकास होने वाले पौधे या जिन पौधों की वृद्धि भली प्रकार से नहीं हो पाई है उन पर पहले स्प्रे के 8 दिनों बाद दूसरा जिबरेलिक अम्ल स्प्रे किया जा सकता है।


अन्य रखरखाव: प्लास्टिक या एक्रिलिक की एक साधारण छत फूलों को वर्षा, अत्यधिक गर्मी और सर्दी से होने वाली क्षति से बचाएगी।


कटाई उपरांत प्रबंधन: आमतौर पर जिप्सोफिला फसल की कटाई तने से काटकर की जाती है जब 30-40 प्रतिशत फूल खिलना शुरू हो जाते हैं। कटाई दिन के ठंडे समय के दौरान की जानी चाहिए। फूल वाले तने की कटाई एक इंटरनोड छोड़कर करनी चाहिए। कटाई के तुरंत बाद फूलों को पानी में प्रशीतन के लिए रखा जाना चाहिए।


उपज: सामान्य किस्मों से 8-10 तना प्रति पौधा प्रति फ्लश उपज प्राप्त की जा सकती है। वहीं उन्नत किस्मों को उगाकर 10-12 तना प्रति पौधा प्रति फ्लश उपज प्राप्त की जा सकती है।


प्रवर्धन: जिप्सोफिला एलिगेंस प्रजाति को विशेष रूप से बीजों के माध्यम से प्रसारित किया जाता है। बीजों को सीधे क्यारियों में बोया जाता है। लगातार फूल खिलने के लिए, हर 2-3 सप्ताह के अंतराल में बीज बोना चाहिए। मैदानी इलाकों में बीज सितंबर-अक्टूबर की अवधि में और पहाड़ी इलाकों में अगस्त-अक्टूबर या मार्च-अप्रैल में बोए जाते हैं। जिप्सोफिला पैनिकुलटा को स्टेम कटिंग के माध्यम से प्रसारित किया जाता है। इसमें 8 सेंटीमीटर लंबी आधारीय कलमें (बेसल शूट) प्रसार के लिए आदर्श होती हैं। पौधों को जड़ कटिंग के माध्यम से भी बढ़ाया जा सकता है। ऊतक संवर्धन के उपयोग से जिप्सोफिला पैनिकुलटा के शीघ्रता से क्लोनल पौधे प्राप्त किए जा सकते हैं।


पुष्पन: जिप्सोफिला पैनिकुलटा एक लंबे दिन का पौधा है। इसे पूर्ण पुष्पन होने के लिए रात के तापमान 11°C से ऊपर की आवश्यकता होती है। सबसे अच्छी वृद्धि और फूल तब प्राप्त होते हैं जब पौधे 0-10°C तापमान के संपर्क में आते हैं। शीत ऋतु की फसल के लिए 19 सप्ताह का समय लगता है, जबकि ग्रीष्मकालीन फसल के लिए लगभग 15 सप्ताह का समय लगता है।


छंटाई: फूलों का खिलना फसल की वृद्धि के साथ-साथ होता है, इसलिए बीच-बीच में छंटाई का अभ्यास जिप्सोफिला में आवश्यक है। पौधों के सूखे और रोगग्रस्त भागों को समय रहते काट देना चाहिए, अन्यथा ये पूरे पौधे को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह फसल एक बार रोपण के साथ 2-3 कटाई देती है, इसलिए फसल वृद्धि अवधि के दौरान इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। अतः इस फसल के लिए काट-छाँट आवश्यक है।


नियंत्रण
  • कीट: जिप्सोफिला के प्रमुख कीटों में ग्रब और कैटरपिलर, एफिड्स, टिड्डे, लीफ माइनर, थ्रिप्स और माइट्स शामिल हैं। इन्हें कीटनाशकों, माइटिसाइड्स और कवकनाशकों के संयुक्त प्रयोग द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
  • रोग: जिप्सोफिला में डैम्पिंग ऑफ का मुख्य कारण पाइथियम एफानिडर्मेटम है। उच्च तापमान और सापेक्ष आर्द्रता पर जड़ें जमाने पर यह रोग कलमों को प्रभावित करता है। मृदा उपचार के बाद कवकनाशी का साप्ताहिक छिड़काव करने से मृदाजनित रोगों की रोकथाम की जा सकती है।

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