जलवायु परिवर्तन का पुष्प उत्पादन पर प्रभाव | Climate Change & Flower Production: Impacts, Challenges & Solutions

भारत की जलवायु विविधताओं से भरी है, जहाँ उत्तर के कश्मीर में हल्की गर्मियों के साथ बर्फबारी और ठंडी सर्दियाँ हैं, वहीं पश्चिम राज्यों में गर्म, शुष्क ग्रीष्मकाल और हल्की सर्दियों के साथ शुष्क एवं अर्ध-शुष्क स्थिति है। इसके विपरीत, पश्चिम बंगाल और ओडिशा सहित पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत में गर्म, आर्द्र ग्रीष्मकाल और हल्की सर्दियाँ, मध्य भारत में गर्म ग्रीष्मकाल, मानसून तथा हल्की सर्दियाँ हैं, वहीं दक्षिणी भारत, जिसमें तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में विशेष रूप से मानसून के दौरान वर्षा के साथ लगातार गर्म उष्णकटिबंधीय जलवायु है। इस प्रकार भारत में जलवायु विविधता विभिन्न प्रकार के फूलों के उत्पादन के लिए बहुत ही उपयुक्त है। भारत की 60-70% आबादी परोक्ष या अपरोक्ष रूप से कृषि से जुड़ी गतिविधियों पर आधारित है। देश की कृषि में पुष्प उत्पादन का एक बहुमूल्य योगदान है क्योंकि पुष्पीय फसलें नकदी फसल के रूप में मुख्य रूप से उगाई जाती हैं। निरंतर बढ़ता तापमान व मौसम में असमानता के कारण देश में पुष्पीय उत्पादन प्रभावित हो रहा है। इस जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए अथक प्रयास करने की आवश्यकता है।

भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के कारण फूलों की बाजार में भारी मांग वर्षभर बनी रहती है, जैसे दिवाली, होली, नवरात्रि, नववर्ष, दशहरा जैसे त्योहारों के दिनों के अतिरिक्त शादियों के दिनों में भी फूलों की बहुतायत से मांग रहती है। इसके अलावा, पुष्पों का सुगंधित द्रव्य, अगरबत्ती, औषधि और खाद्य उत्पादों के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है, जो दैनिक जीवन और विशेष अवसरों में फूलों के महत्व को दर्शाता है।

लेकिन बदलती जलवायु, अर्थात् जलवायु परिवर्तन, पुष्प की खेती पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इस कारण फूलों की उत्पादकता और गुणवत्ता में कमी पाई गई है। इससे निर्यात और घरेलू बाजार के लिए फूलों की उपलब्धता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार जलवायु परिवर्तन न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व के फूल उत्पादन के लिए चिंता का विषय है।


जलवायु परिवर्तन का पुष्प उत्पादन पर प्रभाव  Climate Change & Flower Production Impacts, Challenges & Solutions


पुष्प उत्पादन को प्रभावित करने वाले जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारक

तापमान परिवर्तन: तापमान का फूल उत्पादन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यह पुष्पण के समय, आकार और गुणवत्ता को प्रभावित करता है। अत्यधिक गर्म मौसम के कारण विभिन्न प्रजातियों जैसे रोडोडेंड्रोन (बुरांश) और रिनवार्डिया (बसन्ती) को सामान्य से पहले खिलते पाया गया है। इसके अतिरिक्त परागकण की प्रजनन क्रिया नष्ट हो सकती है। लॉक्सपर की कई प्रजातियों में बढ़ते तापमान के कारण छोटे फूलों के साथ-साथ उत्पादन पर भी प्रभाव पाया गया है। इसके विपरीत, कम तापमान से फूल खिलने में देरी होती है तथा अत्यधिक ठंड भी पुष्प उत्पादन को कम करती है। उच्च तापमान पुष्पों के शीघ्र मुरझाने का कारण भी बनता है, जिससे पुष्पों की गुणवत्ता में कमी आती है। गुलदाउदी में तापमान तनाव के कारण, विशेष रूप से पंखुड़ियों की लंबाई कम हो जाती है और पुष्प असामान्य आकार के हो जाते हैं। विभिन्न पुष्प प्रजातियों में तापमान में परिवर्तन के कारण पराग की जीवन शक्ति (ओजस्विता) घट जाती है, क्योंकि ताप तनाव से पौधों में कार्बोहाइड्रेट का संतुलन बिगड़ता है, जो पराग निर्माण के लिए आवश्यक होता है।

वर्षा परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा की अनियमितता से पुष्प उत्पादन पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ता है। पुष्पों की खिलने की अवधि के दौरान अधिक वर्षा के कारण फूलों के खिलने में देरी होती है, जिससे फूलों के उत्पादन के समय में परिवर्तन होता है। अत्यधिक वर्षा फूलों के विकास की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करती है। इससे पौधों की बढ़वार से लेकर फूल बनने तक की प्रक्रिया प्रभावित होती है। दूसरी ओर, सूखा तनाव (कम वर्षा) के कारण पुष्पों जैसे गेंदे और जरबेरा में छोटे फूल, कम उपज और गुणवत्ता में कमी आ जाती है।

प्रकाश अवधि (फोटोपीरियड): पुष्प उत्पादन पर प्रकाश की अवधि का विशेष प्रभाव होता है क्योंकि यह प्रकाश संश्लेषण की क्रिया, वृद्धि और फूलों के खिलने के समय को प्रभावित करता है। सूरजमुखी पूर्ण सूर्यप्रकाश में सबसे अच्छा विकास करते हैं, लेकिन आंशिक छाया में धीमी वृद्धि और पुष्पों की संख्या में कमी हो जाती है। जलवायु परिवर्तन से संबंधित कारक, जैसे बादल या वायु प्रदूषण, सूर्य के प्रकाश की तीव्रता को कम करते हैं, इससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित होती है फलस्वरूप फूलों की उपज कम होती है। फूलों के खिलने का चक्र फोटोपीरियड में बदलाव से प्रभावित होता है। गुलदाउदी में पौधों को खिलने के लिए लंबे समय तक अंधेरे की आवश्यकता होती है। यदि ये पौधे दिन में लंबे समय तक धूप में रहते हैं, तो वे फूल नहीं देते हैं। जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप उपलब्ध प्रकाश अवधि में बदलाव होता है। उत्पादक प्रायः फूलों की उपज बढ़ाने के लिए कृत्रिम रोशनी का उपयोग करते हैं, ताकि पौधे के उचित विकास के लिए फोटोपीरियड (प्रकाश अवधि) को नियंत्रित किया जा सके। लिली एवं गुलदाउदी के लिए, ग्रीनहाउस में अतिरिक्त प्रकाश से प्रकाश अवधि को लंबा किया जा सकता है, इससे समय पर फूल खिलकर बाजार में बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं।

आर्द्रता स्तर: पुष्प उत्पादन में आर्द्रता का एक विशेष महत्व है। ऑर्किड में, उच्च आर्द्रता जल तनाव को रोकती है, जिससे फूलों का उत्पादन बढ़ता है। अत्यधिक नमी जीवाणुजनित और कवकीय रोगों जैसे बॉट्रीटिस ब्लाइट (ग्रे मोल्ड) और पाउडरी मिल्ड्यू (चूर्णी फफूंदी) को भी बढ़ावा देती है। इससे फूलों को नुकसान पहुंचता है और गुणवत्ता खराब होती है। दूसरी ओर, कम आर्द्रता से पौधों से पानी का अधिक मात्रा में वाष्पीकरण होता है, जिससे पानी की कमी हो जाती है। इससे सूखा तनाव उत्पन्न हो सकता है, जो फूलों की पैदावार को घटा सकता है। वातावरण में कम आर्द्रता के कारण गेंदा और जीनिया में मुरझाने और पुष्पों का कम खिलना जैसे लक्षण पाए जाते हैं।

प्रबंधन: पुष्प उत्पादन में जलवायु परिवर्तन के कारक, जैसे तापमान परिवर्तन, अनिश्चित वर्षा, फोटोपीरियड (प्रकाश की अवधि) और आर्द्रता, भारी चुनौतियाँ पेश करते हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए और प्रबंधन के अंतर्गत ग्रीनहाउस एवं पॉलीहाउस जैसी नवीनतम तकनीकों का उपयोग बहुत ही बड़ी भूमिका निभाता है। फूलों की गुणवत्ता और उत्पादन को बनाए रखने के लिए, अनियमित वर्षा से उत्पन्न समस्याओं को प्रभावी सिंचाई तथा फसल विविधीकरण के माध्यम से समाधान किया जा सकता है।


राज्यवार लोकप्रिय पुष्प: भारत के शीर्ष फूल उत्पादक राज्यों में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना शामिल हैं। पश्चिम बंगाल विशेष रूप से गेंदे, रजनीगंधा और गुलाब के कटे हुए फूल का सबसे बड़ा उत्पादक है। वहीं कर्नाटक ऑर्किड, गुलदाउदी और गुलाब की खेती के लिए प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र लिली, गुलाब और जरबेरा जैसे कटे हुए फूल के लिए विख्यात है। तमिलनाडु अपने क्रॉसेंड्रा, गेंदे और चमेली के लिए जाना जाता है, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में गुलाब, गुलदाउदी और गेंदा मुख्य फूल हैं।

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