जरबेरा एक बारहमासी फूल है। इसे वैज्ञानिक रूप से जरबेरा जेम्सोनी के नाम से जाना जाता है और यह एस्टेरेसी परिवार से संबंधित है। जरबेरा की व्यावसायिक खेती पॉलीहाउस में बहुतायत से की जाती है। इसे आमतौर पर कटे हुए फूलों को प्राप्त करने के लिए उगाया जाता है। जरबेरा की किस्में विभिन्न प्रकार के रंगों में पाई जाती हैं। ये वातावरण में बहुत ही सुंदर और आकर्षक लगती हैं। जरबेरा के अच्छी गुणवत्ता वाले फूल लेने के लिए, इसे घर के आँगन, बालकनी, छत के गमलों में भी उगाया जा सकता है। किसी भी प्रकार के पौधों को उगाने के लिए, मिट्टी सबसे प्राथमिक माध्यम है लेकिन गमलों और अन्य किसी भी प्रकार के कंटेनरों में जरबेरा के पौधे उगाने के लिए, मिट्टी प्रायः अनुपयुक्त होती है। इसका कारण है कि इसमें अधिकतर वातन, जल निकासी, जल धारण क्षमता, संतुलित पोषक तत्वों, कीट और रोगमुक्त वातावरण, और आदर्श पीएच मान की कमी जैसे महत्वपूर्ण कारक बाधा बनते हैं। बिना मिट्टी के गमलों में जरबेरा उगाने के लिए, 'सॉलिड मीडिया कल्चर' का उपयोग किया जाता है।
गमलों में सॉलिड मीडिया कल्चर के माध्यम से जरबेरा उगाया जाए, तो यह नर्सरी उत्पादकों और बागवानी का व्यवसाय करने वालों दोनों के लिए ही मुनाफे का सौदा हो सकता है। इस मिश्रण को तैयार करने के लिए कोकोपीट, पर्लाइट, वर्मीक्यूलाइट, क्ले बॉल्स या अन्य मिश्रण सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। यह पारंपरिक मिट्टी का एक उत्कृष्ट विकल्प प्रदान करता है। यह मिश्रण पौधों की जड़ विकास को बढ़ाता है और उनको लगातार नमी और पोषक तत्वों की उपलब्धता प्रदान करता है। इससे पौधे लंबे समय तक अधिक जीवंत रहकर अधिक फूल प्रदान करते हैं। गमलों में सॉलिड मीडिया कल्चर के माध्यम से जरबेरा के पौधों को उगाने के लिए, एक बहुत ही आसान और प्रभावी विधि है।
सॉलिड मीडिया कल्चर: सॉलिड मीडिया कल्चर में पौधों को पारंपरिक मिट्टी के स्थान पर पोषक तत्वों से भरपूर माध्यम में उगाया जाता है। यह तकनीक पौधों को एक टिकाऊ तथा जड़ क्षेत्र में वायवीय वातावरण प्रदान करने वाला माध्यम प्रदान करती है, जो स्वस्थ जड़ विकास के लिए बहुत आवश्यक है। आमतौर पर गमलों में माध्यम के रूप में उपयोग किए जाने वाले मीडिया में कोकोपीट, पर्लाइट, वर्मीक्यूलाइट, वर्मीकंपोस्ट और रॉकवूल शामिल हैं। इसे एग्रीगेट सिस्टम या पॉट कल्चर के नाम से भी जाना जाता है।
गमलों में जरबेरा उत्पादन के लिए माध्यम का चयन: पौधों की वृद्धि को प्रभावित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है उगाने का माध्यम अर्थात् मीडिया का चयन। यह माध्यम अच्छी जल धारण क्षमता के साथ पारगम्य और उपयुक्त जल निकासी वाला होना चाहिए। जरबेरा को गमलों में उगाने के लिए अपर्याप्त ऑक्सीजन की मात्रा अत्यधिक संवेदनशील कारक है। पॉट जरबेरा उगाने के लिए उपयोग किए जाने वाले लोकप्रिय मीडिया में कोकोपीट, पर्लाइट, वर्मीक्यूलाइट और क्लेबॉल्स प्रमुख हैं।
मीडिया की तैयारी: स्वस्थ और गुणवत्ता वाले फूल प्राप्त करने के लिए, रोपण से कम से कम 15 दिन पहले मीडिया को बनाने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। ठोस और सूखी कोकोपीट को दो घंटे के लिए पानी में भिगोया जाता है। इसके बाद अतिरिक्त पानी और उसकी क्षारीयता को कम करने के लिए निचोड़कर तत्पश्चात इसे एक दिन के लिए छाया में सुखाया जाता है। क्ले बॉल्स को 24 घंटों के लिए पानी में रखने के बाद उन्हें मीडिया घटक के रूप में उपयोग करने के लिए छाया में सुखाया जाता है।
मृदाजनित रोगों से बचाने के लिए, मीडिया को उपयोग करने से पहले 0.1% की दर से बाविस्टिन का उपयोग करके रोगाणुहीन किया जाता है। पॉट जरबेरा उगाने के लिए वांछित मीडिया मिश्रण प्राप्त करने हेतु इन सभी अवयवों को अच्छी तरह से मिलाया जाता है। माध्यम (मीडिया) मिश्रण नम होना चाहिए, लेकिन गीला नहीं होना चाहिए। पौधों में स्वस्थ जड़ विकास सुनिश्चित करने के लिए, उचित मिश्रण का होना बहुत आवश्यक है। पौधे रोपण से पहले माध्यम में हल्का पानी डालकर इसे अच्छी तरह से सूखने देना चाहिए।
गमला भरना: जरबेरा उगाने के लिए पराबैंगनी स्थिरीकृत प्लास्टिक से बने 4-12 इंच व्यास के तैयार गमलों का उपयोग किया जाता है। गमलों को भरने से पहले, गमले के नीचे के छिद्रों पर उचित जल निकासी के लिए छोटे पत्थर या टाइल के टुकड़े रखने चाहिए। गमले को कोकोपीट, पर्लाइट, वर्मीक्यूलाइट और बालू जैसी निष्क्रिय जैविक या अजैविक सामग्री के मिश्रण से भरना चाहिए। गमले भरने के बाद, गमलों को पर्याप्त मात्रा में पानी दिया जाता है और पौधों को लगाने से पहले माध्यम को पूरी तरह से निथरने दिया जाता है ताकि उचित नमी बनी रहे। पौधों को लगाने के लिए तैयार गमलों को पॉलीहाउस के अंदर स्थायी लोहे के खंभों पर बने स्लैब पर रखा जाता है।
प्रवर्धन: जरबेरा का व्यावसायिक रूप से प्रवर्धन ऊतक संवर्धन (टिशू कल्चर) से किया जाता है। जरबेरा के पौधों का व्यावसायिक प्रवर्धन पुणे, बेंगलुरु और उत्तर भारत में स्थित कुछ निजी कंपनियों द्वारा किया जा रहा है।
रोपण: जरबेरा के 4-5 पत्तियों वाले ऊतक संवर्धित स्वस्थ पौधों को गमलों में तैयार किए गए माध्यम में रोपना चाहिए। पौधे रोपण करते समय, पौधे का जड़ क्षेत्र का ऊपरी भाग, गमलों में मीडिया के स्तर से 1-2 सेमी ऊपर होना चाहिए। मीडिया में उचित नमी बनाए रखने के लिए, पौधे रोपण के पश्चात हल्की सिंचाई अवश्य करनी चाहिए।
पॉट कल्चर के लिए उपयुक्त किस्में: ग्लोरियस व्हाइट, ग्लोरियस ऑरेंज, ग्लोरियस पर्पल, ग्लोरियस येलो, पिनेकल्स, ओलंपिक, ग्रेट स्मोकी माउंटेंस, ग्लेशियर, बिगहॉर्न आदि।
उत्पादन: प्रत्येक पौधे से प्रति माह औसतन 5-7 और एक वर्ष में 60-65 तने प्राप्त किए जा सकते हैं। पौधरोपण के तीसरे महीने से फूल वाले तने प्राप्त किए जा सकते हैं और ये दो वर्षों तक प्राप्त किए जा सकते हैं। ग्रीनहाउस की दशाओं में, प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष 175-200 फूल प्राप्त किए जा सकते हैं।
कटाई उपरांत देखभाल: फूलदान के फूलों की आयु बढ़ाने के लिए, फूल की डंडी को सोडियम हाइपोक्लोराइट 5-7 मिली/लीटर पानी के घोल में 4-5 घंटों के लिए भिगोया जाता है। इस प्रकार फूलदान के घोल में जरबेरा को 2-3 सप्ताह तक रखा जा सकता है। बाजार में भेजने से पूर्व फूलों की छंटाई की जाती है। प्रत्येक पुष्प को पॉली पाउच में पैक किया जाता है और फिर दो परतों में कार्टन बॉक्स में रखा जाता है।
फूलों की कटाई और पैकेजिंग: जब बाह्य 2-3 पंक्तियों के डिस्क फ्लोरेट्स तने के प्रति लंबवत खुल जाएं, तो वह जरबेरा के फूलों की कटाई का उपयुक्त समय होता है। फूलों को सुबह के समय हल्के घुमाव के साथ तने के आधार को पकड़कर तोड़ा जाता है। कटे हुए फूलों को एकल रूप में उनके खुले फूल को एक विशेष पारदर्शी एवं 10 माइक्रोन की मोटाई वाली पॉलिथीन की 3 सेमी × 3 सेमी एक स्लीव में पैक करके भंडारण अथवा सीधे विपणन हेतु 10 पुष्पों के एक बंडल के गुच्छे में बाजार भेजा जाता है।
रखरखाव:
- प्रकाश: जरबेरा के गमलों को ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहाँ उचित प्रकाश की व्यवस्था हो और सीधा और तेज प्रकाश गमलों पर न आए।
- तापमान और नमी: जरबेरा 18-24° सेल्सियस के तापमान और मध्यम नमी में अच्छी तरह से वृद्धि करता है। पौधों को फफूंद जनित रोगों से बचाने के लिए उचित वायु संचार की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।
- सिंचाई: गमलों में उगाए गए जरबेरा की वृद्धि और पुष्पन के लिए उपयुक्त नमी बनाए रखने हेतु प्रतिदिन हल्की सिंचाई की जानी चाहिए। इसके लिए हजारे का उपयोग किया जाता है।
- खाद और उर्वरक: पानी में घुलनशील संतुलित उर्वरक का उपयोग करना चाहिए। साप्ताहिक अंतराल पर 19:19:19 (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश उर्वरक) 1 ग्राम/लीटर की दर से देना चाहिए। जब पौधे पुष्पन की अवस्था पर आने वाले हों तब सूक्ष्म पोषक तत्वों का घोल भी देना चाहिए। इससे पौधों में बढ़वार और फूलों की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
- कीट और रोग प्रबंधन: नियमित रूप से कीटों जैसे कि एफिड, स्पाइडर माइट्स और सफेद मक्खी की निगरानी की जानी चाहिए। कीटों के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए उपयुक्त कीटनाशक अथवा नीम तेल का उपयोग करना चाहिए। फफूंद जनित रोगों जैसे कि पाउडरी मिल्ड्यू और रस्ट आने पर उपयुक्त फफूंदनाशी का समय से प्रयोग करना चाहिए।
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