सजावटी पत्तागोभी देखने में एक बहुत ही आकर्षक पौधा है। इसे गमलों में या कटे हुए तने के रूप में उगाया जा सकता है। इसकी अनुकूलन क्षमता, जीवंत रंग और ठंड सहनशीलता इसे किसी भी बगीचे या पुष्प सज्जा के लिए एक मूल्यवान उत्पाद बनाती है। उचित उत्पादन तकनीक के साथ, सजावटी पत्तागोभी सबसे ठंडे महीनों में भी परिदृश्य और फूलदान में सुंदरता ला सकती है। सजावटी पत्तागोभी (ब्रेसिका ओलेरासिया एल. वार एसेफाला डीसी.) एक अपेक्षाकृत नई फूलों की फसल है, जो अपनी जीवंत रंगीन पत्तियों और देर से मौसम की स्थिति में पनपने की क्षमता के लिए लोकप्रिय है। इसका मूल स्थान मूल रूप से भूमध्यसागरीय क्षेत्र है और यह ब्रेसिका परिवार से संबंधित है।
सजावटी गोभी का उपयोग पहली बार भोजन को सजाने के रूप में किया गया था। इसकी विभिन्न रंगों वाली आकर्षक पत्तियाँ और भूदृश्य निर्माण व पुष्प व्यवस्था में ज्वलंत रंग जोड़ने की क्षमता ने इसे फूल बाजारों में मूल्यवान बना दिया है।
सजावटी गोभी के पौधे परिपक्व होकर सघन, एकसमान सिरों के रूप में विकसित होते हैं। इनमें मोटी, नीली-हरी या झालरदार पत्तियाँ होती हैं। इनके मध्य भाग में चमकीले और विपरीत रंग के पत्ते होते हैं, जो किस्म के आधार पर मलाईदार सफेद से लेकर बैंगनी-लाल या गुलाबी तक होते हैं। इसे गमले में लगाने वाले पौधे, कटे हुए तने (फूल) के साथ-साथ पतझड़ के मौसम के दौरान बगीचे में भूदृश्य निर्माण के रूप में भी उगाया जाता है, जब बहुत कम रंग के फूल उपलब्ध होते हैं।
कटे हुए फूल के रूप में सजावटी गोभी किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इसकी लंबी फूलदान आयु और फसल की छोटी अवधि तथा सीमित कृषि पद्धतियाँ इसे व्यावसायिक उत्पादन के लिए अधिक उपयुक्त बनाती हैं। अपने उच्च कैरोटीनॉयड और एंथोसायनिन तत्व के कारण, सजावटी गोभी के पत्ते न केवल एक सजावटी पौधे के रूप में काम करते हैं, बल्कि स्वास्थ्य लाभ भी देते हैं। इस बहुमुखी पौधे में रुचि बढ़ रही है, विशेष रूप से आईसीएआर-आईआईवीआर, क्षेत्रीय स्टेशन, कटराईं, कुल्लू, हिमाचल प्रदेश में व्यवस्थित अनुसंधान किया जा रहा है।
पौधे तैयार करना: सजावटी गोभी की खेती की सफलता पौधे तैयार करने से शुरू होती है। नर्सरी बेड की मिट्टी अच्छी तरह से तैयार होनी चाहिए, जिसमें 4 किग्रा/वर्ग मीटर की दर से जैविक खाद या गोबर की खाद मिलाई जानी चाहिए। फफूंद जनित रोगों से बचाव के लिए बीजों को बुवाई से पहले कैप्टन या थीरम 2.0 ग्राम/किग्रा की दर से उपचारित करना चाहिए। बीजों को 1-1.5 सेमी की गहराई पर बोएं, बीजों के बीच 2-3 सेमी और पंक्तियों के बीच 8-10 सेमी की दूरी रखें। बुवाई के बाद बीजों को बारीक मिट्टी और गोबर की खाद के मिश्रण से ढक दें। नमी बनाए रखने के लिए हल्की सिंचाई जरूरी है। इष्टतम विकास के लिए क्यारियों को खरपतवारों से मुक्त रखा जाना चाहिए। आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में बीज की बुवाई अगस्त के अंत में या सितंबर में करनी चाहिए। मैदानी इलाकों में बीज की बुवाई 15 सितंबर तक करनी चाहिए।
सजावटी गोभी की किस्मों को उनके उपयोग के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है:
गमलों और क्यारियों में लगाने वाली किस्में:
- ओसाका पिंक
- ओसाका व्हाइट
- नागोया मिक्स एफ1
- पिजन रेड
- पिजन व्हाइट
- योकोहामा रेड
- योकोहामा व्हाइट
- केटीडीएच-19
- केटीवीओके-2
- केटीवीओके-1
- केटीवीओके-11
- केटीवीओके-37
- आदि।
कटे हुए फूल वाली किस्में:
- क्रेन रेड एफ1
- कोरल प्रिंसेस
- कोरल फेदर क्वीन
- कोरल फेदर किंग
- कोरल रिफल बाइकोलर
- कोरल व्हाइट
- कोरल रेड
- केटीडीएच-57
- केटीवीओके-39
- केटीवीओके-32
- केटीवीओके-66
- आदि।
गमलों में उत्पादन: गमलों में सजावटी गोभी उगाना आँगन और बालकनी जैसी छोटी जगहों में रंग भरने का एक शानदार तरीका है। गमले में गोभी उत्पादन के निम्न तरीके हैं:
- गमलों का चयन: सजावटी गोभी को इसकी रेशेदार जड़ प्रणाली के लिए गहरे गमलों से लाभ होता है। इसके लिए 10-12 इंच के आकार के गमलों का चयन करें, जिनमें जल निकासी के लिए छेद हों।
- मृदा माध्यम: ढीली, अच्छी जल निकासी वाली तथा पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी का प्रयोग करें, जिसका पीएच मान 6.0-7.5 हो। अच्छी गुणवत्ता वाला पॉटिंग मिश्रण नमी बनाए रखने और पर्याप्त जल निकासी में सहायक होता है।
- रोपाई: 5-6 सप्ताह पुराने तथा 4-6 पत्तियों वाले पौधों को शाम के समय रोपना चाहिए। रोपाई के तुरंत बाद पानी दें।
- प्रकाश और तापमान: सजावटी गोभी को पूर्ण सूर्य प्रकाश (प्रतिदिन 6+ घंटे) चाहिए होता है, लेकिन यह आंशिक छाया को भी सहन कर सकती है। ठंडा तापमान (-15°C तक) पत्ती के रंग की तीव्रता को बढ़ाता है।
- पानी देना: मिट्टी को लगातार नम रखें लेकिन जलभराव न होने दें। जब मिट्टी का ऊपरी एक इंच सूख जाए तब पानी दें।
- पोषक तत्व: स्वस्थ पत्तियों और जीवंत रंगों को बढ़ावा देने के लिए रोपण के समय धीमी गति से निकलने वाले उर्वरक (एनपीके = 10:10:10) का प्रयोग करें और हर 3-4 सप्ताह में पूरक खाद डालें।
कटे हुए फूल उत्पादन: सजावटी गोभी का आकर्षक स्वरूप इसे कटे हुए फूलों के रूप में लोकप्रिय विकल्प बनाता है। पॉलीहाउस परिस्थितियों में इसकी खेती करने से गुणवत्ता और पैदावार दोनों बढ़ती हैं।
कटे हुए फूल उत्पादन के लिए किस्में: सभी सजावटी गोभी की किस्में कटे हुए तने के उत्पादन के लिए उपयुक्त नहीं होती हैं। ऐसी किस्मों का चयन करें जो बाजार की मांग और खेती की परिस्थितियों के अनुकूल हो। किस्म का चयन करते समय, उन किस्मों को प्राथमिकता दें जिनके तने लंबे, सीधे हों तथा रंग चमकीला हो। कटे हुए फूलों की कुछ लोकप्रिय किस्में इस प्रकार हैं:
- क्रेन श्रृंखला: इन्हें लंबे, मजबूत तने और बड़े, रंगीन रोसेट के लिए जाना जाता है।
- सनसेट और सनराइज श्रृंखला: इनके केंद्र गुलाबी, लाल या सफेद होते हैं और ये अपनी सीधी वृद्धि के कारण कटे हुए तनों के लिए आदर्श होते हैं।
- कोरल क्वीन: इसमें गहरे झालरदार पत्ते होते हैं तथा इसमें अद्भुत बैंगनी रंग होता है, जो पुष्प सजावट के लिए उपयुक्त है।
- मिट्टी की तैयारी: कटे हुए फूलों के उत्पादन के लिए, सजावटी गोभी को अच्छी तरह से खादयुक्त कार्बनिक पदार्थ से संशोधित मिट्टी की आवश्यकता होती है। मिट्टी का पीएच मान 6.0-7.5 तक होना चाहिए। विकास के दौरान विद्युत चालकता (ईसी) 1.0 और 2.5 mS/cm के बीच बनाए रखी जानी चाहिए।
- बीज बुवाई और रोपण: बीजों को नम, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में ¼ इंच गहराई पर बोना चाहिए। इस प्रक्रिया के 4-6 सप्ताह के बाद, जब पौधों में दो पत्ते विकसित हो जाते हैं, तो उन्हें वायु प्रवाह को बढ़ावा देने और रोगों को रोकने के लिए 10 × 10 सेमी या 15 × 15 सेमी की दूरी पर पॉलीहाउस में 30 सेमी ऊंची क्यारियों में प्रत्यारोपित कर देना चाहिए।
जलवायु आवश्यकताएँ:
- तापमान: आदर्श वृद्धि 13-24 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच होती है। ठंडा तापमान पत्तियों के रंग को गहरा कर देता है।
- प्रकाश: इनके लिए 38,000 और 54,000 लक्स के बीच का प्रकाश स्तर इष्टतम है।
- आर्द्रता: फफूंद जनित रोगों से बचाव के लिए आर्द्रता 60-70% के बीच रखें।
- सिंचाई: निरंतर नमी महत्वपूर्ण है और ड्रिप सिंचाई पत्तियों को गीला किए बिना मिट्टी में एकसमान नमी बनाए रखने में मदद करती है।
- सहारा देना और पत्तियों को हटाना: कटे हुए फूलों वाली किस्मों में पौधे ऊपर से भारी होते हैं। पौधों को बढ़ने में सहारा देने के लिए क्षैतिज जाल आवश्यकतानुसार लगाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, जब पौधे 10-12 इंच तक पहुँच जाएं, तो निचली पत्तियों को हटाने से तने मजबूत होते हैं और तने की लंबाई में वृद्धि होती है।
- पोषक तत्व प्रबंधन: रोपाई के बाद पहले 6 सप्ताह के दौरान, कैल्शियम नाइट्रेट आधारित 100 पीपीएम नाइट्रोजन वाले उर्वरक का प्रयोग करें। पत्तियों का रंग बदलने से एक सप्ताह पहले नमी कम कर दें और वृद्धि बनाए रखने के लिए 50 पीपीएम नाइट्रोजन डालें।
- तने की कटाई: सजावटी गोभी आमतौर पर रोपण के 90-120 दिनों के बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। तने को 12-18 इंच लंबा, जीवंत केंद्रीय रोसेट के साथ काटा जाना चाहिए। क्षति से बचने के लिए, साफ-सुथरी कैंची का उपयोग करते हुए, सुबह फसल की कटाई करें। ऐसे मजबूत, सीधे तने का चयन करें जो दाग-धब्बों और कीटों की क्षति से मुक्त हों।
- कटाई उपरांत देखभाल: फूलदान की आयु बनाए रखने के लिए कटाई के बाद की देखभाल अत्यंत महत्वपूर्ण है। कटाई उपरांत फूलों की गर्मी को कम करने के लिए तनों को ठंडे पानी (4-10 डिग्री सेल्सियस) में रखना चाहिए। पैकिंग से पहले तनों को कई घंटों तक नमीयुक्त रखें। सजावटी गोभी को नियमित रूप से पानी बदलते हुए, ठंडी, अंधेरी परिस्थितियों (1.5 - 4.0 डिग्री सेल्सियस) में दो सप्ताह तक भंडारित किया जा सकता है।
- कीट एवं रोग प्रबंधन: पॉलीहाउस में कीट और रोग की आशंका कम हो जाती है, फिर भी निगरानी आवश्यक है। आम कीटों में एफिड्स, कैटरपिलर और व्हाइट फ्लाई शामिल हैं। इन कीटों को क्लोरपाइरीफॉस, पर्मेथ्रिन, कार्बेरिल और इमिडाक्लोप्रिड आदि प्रणालीगत कीटनाशकों का उपयोग करके नियंत्रित किया जा सकता है। फफूंद जैसे रोगों का प्रबंधन अच्छे वायु-संचार, उचित सिंचाई पद्धतियों और क्लोरोथैलोनिल एवं मैन्कोजेब सहित कवकनाशी उपचारों से किया जा सकता है।
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