बेर (जिजिफस मॉरीशियस) रैम्नेसी परिवार से संबंधित है। यह भारत-चीन क्षेत्र के प्राचीन फलों में से एक है। यह फल प्राचीन समय से भारतीय उपमहाद्वीप में उगाया जा रहा है। इसकी लगभग 40 प्रजातियों से युक्त जीनस जिजिफस, दुनिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में वितरित किया जाता है। बेर की कुछ अन्य प्रजातियाँ जैसे जेड न्यूमुलेरिया और जेड़ रिटुन्डिफोलिया भी भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाते हैं। जेड न्यूमुलेरिया मुख्य रूप से दुनिया के समशीतोष्ण भागों में उगाया जाता है। भारतीय बेर के वृक्ष छोटे से लेकर मध्यम आकार के साथ शाखाओं वाले फैले हुए होते हैं। यह प्रतिकूल मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों के लिए व्यापक अनुकूलन क्षमता वाला सबसे कठोर फल वाला वृक्ष है। इसमें ज़ेरोफाइटिक लक्षण प्रदर्शित होते हैं और इसकी खेती उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के अधिकांश सीमांत पारिस्थितिकी तंत्र में सफलतापूर्वक की जा सकती है। पेड़ में एक गहरी जड़ प्रणाली होती है, जो बड़ी संख्या में मिट्टी के प्रकारों पर अच्छी प्रतिक्रिया देती है। इसकी खेती के लिए फलों के पौधों में सबसे कम देखभाल की आवश्यकता होती है, इसलिए बेर के पेड़ व्यापक संसाधन विहीन क्षेत्रों के पुनर्वास के लिए उपयुक्त होते हैं। बेर की व्यापक अनुकूलन क्षमता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह विभिन्न देशों में विपरीत पर्यावरणीय परिस्थितियों में भी सरलतापूर्वक उगाया जा सकता है।
बेर एक मौसमी फल है, जिसके बीज और गूदे का अलग-अलग उपयोग होता है। एक तरफ जहाँ बेर के फल के बीज औषधीय मूल्यों से भरपूर हैं। इसका उपयोग कई प्रकार के रोगों के इलाज के लिए किया जा सकता है, जैसे - कैंसर, नींद संबंधी विकार, गैस की समस्या, अनिद्रा और कब्ज आदि। बेर के बीज का उपयोग किया जाता है और गूदा बर्बाद हो जाता है। बेर का गूदा सीधे तौर पर लोगों द्वारा खाने में प्रयोग किया जाता है, जो कई प्रकार के रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। विटामिन सी की कमी से होने वाले रोगों से लड़ता है, रक्त संचार को नियंत्रित करता है, तनाव और चिंता को कम करता है, हड्डियों की ताकत में सुधार करता है, बालों के विकास को बढ़ाता है, वजन को नियंत्रित करता है और रोग प्रतिरक्षा शक्ति को भी बढ़ाता है। इस प्रकार ज़्यादातर लोग बेर के फलों के गूदे का ही सेवन करते हैं।
बीज और गूदे को सही तरीके से अलग करने के लिए, एक पंचिंग प्रकार का बेर फल छेदक यंत्र मशीन का प्रयोग किया जा सकता है। यह यंत्र बेर और बीज की होने वाली बर्बादी को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।
बेर का फल जनवरी से बाज़ार में आता है और अप्रैल के मध्य तक जारी रहता है। यह वह अवधि है, जब व्यावहारिक रूप से कोई अन्य ताजा फल उपलब्ध नहीं होता है, विशेष रूप से मार्च एवं अप्रैल के महीनों के दौरान नींबूवर्गीय फलों की चरम सीमा समाप्त हो जाती है और अंगूर एवं आम तैयार नहीं होते हैं। सिर्फ़ बेर का फल ही बाज़ार में उपलब्ध होता है और वह भी सस्ते दाम पर, इसलिए यह एक लाभदायक उद्यम साबित हो सकता है।
बेर के फलों की किस्में: भारत में बेर की लगभग 300 से भी अधिक किस्में विकसित की जा चुकी हैं, लेकिन सभी किस्में हर क्षेत्र के लिए उपयुक्त नहीं होती हैं, खासकर कम वर्षा वाले बारानी क्षेत्रों के लिए। इन क्षेत्रों के लिए अगेती (जल्दी पकने वाली) और मध्यम अवधि में पकने वाली किस्में ज़्यादा उपयुक्त मानी जाती हैं। बेर की किस्मों को उनके पकने के समय और भौतिक गुणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। यहाँ भारत में उगाई जाने वाली कुछ प्रमुख व्यावसायिक और लोकप्रिय किस्में दी गई हैं:
अगेती किस्में (जल्दी पकने वाली):
- गोला: यह सबसे लोकप्रिय व्यावसायिक किस्मों में से एक है। इसके फल गोल आकार के होते हैं और दिसंबर के अंतिम सप्ताह में पकना शुरू होते हैं, जो पूरे जनवरी तक उपलब्ध रहते हैं। काजरी के गोला बेर की बाजार में अच्छी मांग रहती है।
- काजरी गोला: यह भी एक अगेती किस्म है, जो गोला के समान ही जल्दी पकती है।
मध्यम किस्में (मध्यम अवधि में पकने वाली):
- सेब: यह जल्दी पकने वाली किस्म है जिसके फल सुनहरे पीले रंग के होते हैं। प्रति पेड़ 90-100 किलोग्राम फल प्राप्त होते हैं।
- कैथली: इस किस्म में कांटे कम होते हैं और फल अंडाकार-दीर्घाकार होते हैं। यह मार्च के अंत तक पककर तैयार हो जाती है और इसमें भरपूर मिठास होती है।
- छुहारा: यह मध्य-ऋतु की किस्म है जिसके फल हरे-पीले रंग के और अपेक्षाकृत बड़े होते हैं (लगभग 16.8 ग्राम)।
- दण्डन
- सनौर-5 (Senyur-5)
- मुंडिया
- गोमा कीर्ति (गणेश कीर्ति): यह एक अगेती किस्म है जिसे उमरान से चयन द्वारा विकसित किया गया है।
- बनारसी: यह एक मध्य-ऋतु की किस्म है जिसके फल सुनहरे पीले रंग के होते हैं। प्रति पेड़ 100-110 किलोग्राम फल मिलते हैं।
- संधुरा नारनौल (सनौर नं. 1): इसका पेड़ सीधा होता है और फल सुनहरे पीले रंग के होते हैं। उत्पादन 80 किलोग्राम/पेड़/वर्ष तक हो सकता है।
- इलायची: इस किस्म में 90% बाँझ पराग (sterile pollen) होता है।
पछेती किस्में (देर से पकने वाली):
- उमरान: यह अधिक पैदावार देने वाली किस्म है और भारत में सबसे प्रसिद्ध व्यावसायिक किस्मों में से एक है। इसके फल आकार में काफी बड़े, अंडाकार-चमकीले और पकने पर सुनहरे पीले से चॉकलेटी रंग के हो जाते हैं। इसकी फसल मार्च के आखिर या अप्रैल के मध्य तक पककर तैयार हो जाती है। एक पेड़ से 150 से 200 किलोग्राम तक उपज मिल सकती है। इसे सुखाकर 'छुहारा' के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
- काठा
- टीकड़ी
कुछ अन्य महत्वपूर्ण किस्में:
- रश्मी
- ढोढिया: यह फल मक्खी के लिए प्रतिरोधी है।
- मिस इंडिया: यह एक अच्छी किस्म है जिसका स्वाद अच्छा होता है, लेकिन पकने पर इसका लाल रंग हल्का हो जाता है। इसकी गुठली छोटी होती है।
- कश्मीरी एपल: काजरी में विकसित की जा रही एक नई किस्म, जो लाल रंग के बेर के लिए जानी जाती है।
किस्मों का चयन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
- जलवायु और मिट्टी: प्रत्येक किस्म की अपनी विशिष्ट आवश्यकताएं होती हैं।
- पकने का समय: बाजार की मांग और उपलब्धता के अनुसार चयन करें।
- उपज क्षमता: प्रति पेड़ या प्रति हेक्टेयर कितनी उपज मिल सकती है।
- रोग और कीट प्रतिरोधक क्षमता: कुछ किस्में विशेष रोगों या कीटों के प्रति अधिक प्रतिरोधी होती हैं।
- फलों के गुण: फल का आकार, रंग, मिठास, गूदे की मात्रा और भंडारण क्षमता।
- प्रसंस्करण की क्षमता: क्या फल को चटनी, मुरब्बा या कैंडी बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
भारत में कृषि अनुसंधान परिषद और केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान (CAZRI) जैसी संस्थाएं लगातार बेर की नई और उन्नत किस्में विकसित करने में लगी हुई हैं, ताकि किसानों को बेहतर उपज और गुणवत्ता वाले फल मिल सकें।
फल की अवस्थाएँ: बेर के फल की अवस्थाएँ मुख्य रूप से उसके विकास और परिपक्वता के स्तर को दर्शाती हैं। बाज़ार में या उपभोक्ता के लिए, बेर को सामान्यतः दो मुख्य अवस्थाओं में वर्गीकृत किया जाता है:
अपरिपक्व बेर (कच्चा बेर): यह वह अवस्था है जब बेर अभी पूरी तरह से पका नहीं होता है। इस अवस्था में फल के निम्नलिखित गुण होते हैं:
- रंग: आमतौर पर हरा होता है, जिसमें हरे रंग के अलग-अलग शेड्स हो सकते हैं।
- बनावट: कड़ा और कुरकुरा होता है।
- स्वाद: कसैला या थोड़ा खट्टा हो सकता है, क्योंकि इसमें शर्करा का स्तर कम और अम्लता का स्तर अपेक्षाकृत अधिक होता है।
- उपयोग: कुछ लोग कच्चे बेर को नमक और मिर्च के साथ खाना पसंद करते हैं। कुछ खास व्यंजनों या चटनी में भी इसका उपयोग होता है जहाँ खट्टेपन की आवश्यकता होती है। हालांकि, मुख्य रूप से इसे सीधे खाने के लिए नहीं पसंद किया जाता।
- पोषक तत्व: इस अवस्था में भी कुछ पोषक तत्व मौजूद होते हैं, लेकिन पूरी तरह से विकसित नहीं होते।
परिपक्व बेर (पका हुआ बेर): यह वह अवस्था है जब बेर अपने पूर्ण विकास और परिपक्वता तक पहुँच जाता है। इस अवस्था में फल सबसे अधिक स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर होता है:
- रंग: किस्म के आधार पर सुनहरे पीले से लेकर लाल-भूरे या चॉकलेट रंग का हो जाता है। कुछ किस्मों में हरे रंग के ऊपर लालिमा आ जाती है।
- बनावट: नरम से लेकर थोड़ा कुरकुरा हो सकता है, लेकिन कच्चे बेर जितना कड़ा नहीं होता। गूदा रसदार होता है।
- स्वाद: मीठा और सुगंधित होता है। इसमें शर्करा का स्तर बढ़ जाता है और अम्लता कम हो जाती है, जिससे स्वाद बहुत सुखद हो जाता है।
- उपयोग: यह अवस्था सीधे खाने के लिए सबसे उपयुक्त होती है। इसके अलावा, इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के प्रसंस्कृत उत्पादों जैसे मुरब्बा, कैंडी, चटनी, स्क्वैश, पेय, जैम और सूखे बेर (छुहारा) बनाने के लिए भी किया जाता है।
- पोषक तत्व: इस अवस्था में फल अपने चरम पोषक मूल्य पर होता है, जिसमें विटामिन सी, प्रोटीन, खनिज पदार्थ, कैल्शियम और फास्फोरस जैसे तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं।
फल की अवस्थाओं का महत्व: फल की अवस्था का ज्ञान किसानों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं सभी के लिए महत्वपूर्ण है:
- कटाई का समय: किसान यह सुनिश्चित करने के लिए परिपक्वता के लक्षणों की पहचान करते हैं कि फल को सही समय पर काटा जाए ताकि उसका स्वाद, बनावट और भंडारण क्षमता अधिकतम हो।
- बाजार मूल्य: पके हुए बेर की बाजार में अधिक मांग और बेहतर कीमत मिलती है।
- प्रसंस्करण: औद्योगिक उपयोग के लिए, जैसे जैम या कैंडी बनाने के लिए, पूरी तरह से पके और मीठे फलों की आवश्यकता होती है।
- भंडारण: अपरिपक्व फलों को लंबे समय तक भंडारित किया जा सकता है और उन्हें धीरे-धीरे पकने दिया जा सकता है, जबकि पके फलों को जल्द ही बेचा या उपयोग किया जाना चाहिए।
- उपभोक्ता पसंद: अधिकांश उपभोक्ता पके, मीठे और रसदार बेर पसंद करते हैं।
बेर की विभिन्न किस्में अलग-अलग गति से और अलग-अलग समय पर पकती हैं, इसलिए प्रत्येक किस्म के लिए पकने के विशिष्ट लक्षणों को जानना महत्वपूर्ण है।
बेर फल छेदक यंत्र: बेर छेदक यंत्र में फल को दबाने के लिए रॉड, फल को रखने का स्थान और संचालित करने के लिए एक हैंडल शामिल है। एक चौकोर आकार के प्लेटफ़ॉर्म पर आंतरिक रूप से घुमावदार किनारे वाला छेद प्रदान किया जाता है जहाँ प्लंजर ठोस बेलनाकार रॉड से बना होता है जो चलते हुए हैंडल से जुड़ा होता है।
फल को सीट में रखा जाता है और फल को छेदने के लिए हैंडल का उपयोग किया जाता है। जहाँ सीट के नीचे रखे छेद के माध्यम से बीज को आसानी से निकाला जा सकता है। वहीं मशीन को बनाने के लिए अच्छे ग्रेड के स्टेनलेस स्टील का प्रयोग किया जाता है। स्टेनलेस स्टील संक्षारण प्रतिरोधी होती है, कम रख-रखाव भी इसे कई अनुप्रयोगों के लिए एक आदर्श उत्पाद बनाता है। इसके प्रयोग से मशीन के वजन को कम एवं आयु में वृद्धि हुई है।
बेर के फलों और बीजों के भौतिक गुणों के आधार पर दवा उद्योग में बीजों और गूदे की बर्बादी को कम करने के लिए बेर फल छेदक यंत्र को डिज़ाइन और विकसित किया गया था। बेर के फलों की लंबाई, चौड़ाई, मोटाई, ज्यामितीय माध्य व्यास, अंकगणितीय माध्य व्यास, गोलाकारता और सतह क्षेत्र का अधिकतम मान 62.34 मिमी, 16.68 मिमी, 10.12 मिमी, 21.91 मिमी, 29.71 मिमी, 0.35 और 1508 मिमी थी। जबकि बीजों के लिए क्रमशः 8.73 मिमी, 3.89 मिमी, 6.09 मिमी, 5.97 मिमी, 6.31 मिमी, 0.67 और 111.73 मिमी थी।
फलों के गूदे की बर्बादी के प्रबंधन हेतु विकसित फल छेदक यंत्र के प्रदर्शन पैरामीटर 1.89% से 8.62% तक भिन्न थे और दक्षता 91.38% से 98.11% तक भिन्न थी। ऐसा फल और बीज के आकार के एक समान न होने के कारण होता है। छेदक यंत्र के परिणाम औद्योगिक उपयोग के लिए अत्यधिक बेहतर हैं। यह मशीन वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, नीति निर्माताओं, निर्माताओं और प्रगतिशील किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती है।
गुणों से भरपूर बेर: बेर और सेब के पोषक तत्वों की तुलना से पता चलता है, कि बेर में सेब की तुलना में प्रोटीन, खनिज पदार्थ, कैल्शियम, फास्फोरस, कैरोटीन और विटामिन की मात्रा अधिक होती है। बेर को 'शुष्क क्षेत्र का सेब' भी कहा जाता है। यह आसानी से पचाया जा सकता है। समग्र रूप से बेर के वृक्ष के बहुउद्देशीय उपयोग होते हैं। पत्तियों का उपयोग मवेशियों और ऊंटों के चारे के रूप में और टसर रेशम के कीटों को खिलाने के लिए किया जाता है। बेर का वृक्ष लाख के कीटों के लिए मेजबान के रूप में भी उपयोगी हो सकता है, छाल का उपयोग टैनिंग उद्योग में किया जाता है, लकड़ी का उपयोग कोयला आदि बनाने के लिए किया जाता है। बेर के फल के प्रसंस्करण की भी बहुत गुंजाइश है, क्योंकि इससे चटनी, सूखे बेर, मुरब्बा, बेर कैंडी, स्क्वैश, पेय और जैम जैसे कई उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। बेर के पके फल को चाशनी में डिब्बाबंद करके बाजारों में बिक्री के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।
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