फूलों का लाभकारी मूल्य संवर्धन | Increase Income from Flowers: Value Addition Methods

फूलों का उत्पादन, मूल्य संवर्धन और व्यापार एक तेजी से बढ़ता हुआ उद्योग है। यह न केवल स्थानीय, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। फूलों की खेती का वैश्विक बाजार बढ़ते शहरीकरण, सौंदर्यबोध में वृद्धि और पर्यावरण के प्रति जागरूकता के कारण तेजी से फैल रहा है। फूलों की खेती करके अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। भारत में इस क्षेत्र में रोजगार के अनेकों अवसर हैं। इसके अलावा, फूलों की मांग वर्षभर बनी रहती है। इससे यह एक स्थायी आय का स्रोत भी बनता जा रहा है। भारत में गुलदाउदी, ग्लेडिओलस, गुलाब, गेंदा, चमेली, ऑर्किड, ट्यूलिप और लिली जैसे प्रमुख फूलों की खेती होती है। इन फूलों की मांग न केवल सजावट के लिए होती है बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भी इनका बहुत महत्व है। फूलों का मूल्य संवर्धन करने से उनके उत्पादों की गुणवत्ता, आकर्षण और आर्थिक मूल्य बढ़ाया जा सकता है। मूल्य संवर्धन के विभिन्न प्रकार होते हैं, जो उत्पाद की मांग, उपयोगिता और बाजार मूल्य को बढ़ाते हैं।


फूलों का लाभकारी मूल्य संवर्धन  Increase Income from Flowers Value Addition Methods


फूलों की फसलों में मूल्य संवर्धन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए, निम्न मुख्य बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है:
  • नवीनता और अभिनव होना चाहिए: जैसे दुर्लभ रंग, सुगंध विविधताएं या असामान्य संयोजन।
  • निर्यात क्षमता: मुनाफे को अधिकतम करने और वैश्विक व्यापार के अवसरों को पाने के लिए उत्पाद की अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में उच्च मांग होनी चाहिए।
  • विशिष्टता: उत्पाद की अपनी विशिष्टता होनी चाहिए और प्रतिस्पर्धियों से अलग होना चाहिए। स्वदेशी फूलों की किस्मों का मूल्य संवर्धन करने के लिए चयन करके बाजार में उनकी मांग को बढ़ाया जा सकता है तथा निर्यात की संभावनाएं विकसित की जा सकती हैं।
  • उच्च मूल्य उत्पाद: मूल्य संवर्धन करते समय ध्यान रखना चाहिए कि उत्पादों का आकार अपेक्षाकृत छोटा हो तथा उसका मूल्य उच्च हो। इससे व्यापार और वितरण करना आसान हो जाता है।
  • उपलब्धता: मूल्य संवर्धन करने से पहले सुनिश्चित किया जाए कि बाजार में उत्पाद की आवश्यक मात्रा लगातार बनी रहे।
  • बाजार की मांग: किसी भी मूल्य संवर्धन उत्पाद को लोकप्रिय बनाने के लिए ग्राहकों के बीच उसकी उचित समय पर पहुंच और उत्पाद के विषय में उनके विचार बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इस आधार पर ही उत्पाद की बाजार में मांग निरंतर बनी रहेगी।


मूल्य संवर्धन की तकनीकें एवं उत्पाद

कट फ्लावर्स (Cut Flowers) प्रसंस्करण और पैकेजिंग: फूलों की कटाई उचित समय पर करनी चाहिए ताकि उनकी ताजगी बनी रहे और उनका जीवनकाल बढ़ सके। फूलों की कटाई के तुरंत बाद उन्हें पानी में रखना चाहिए और ठंडी जगहों पर स्टोरेज करना चाहिए। कोल्ड चेन तकनीक का उपयोग करके फूलों की ताजगी लंबे समय तक बनाए रखी जा सकती है। फूलों को उचित ढंग से काटकर, सजाकर और आकर्षक पैकेजिंग में बेचा जा सकता है। पैकेजिंग फूलों को खराब होने से बचाती है और उन्हें अधिक आकर्षक बनाती है।

सूखे फूल (Dry Flowers): फूलों को हवा में, सिलिका जेल में या माइक्रोवेव तकनीक द्वारा सुखाकर संरक्षित किया जा सकता है। सुखाए गए फूलों का उपयोग सजावटी वस्तुओं जैसे कि बुकमार्क, कार्ड्स, वॉल डेकोरेशन, फोटो फ्रेम और आर्ट पीस बनाने में होता है। सुखाए गए फूलों की विशेषता यह होती है कि यह लंबे समय तक बिना खराब हुए बने रहते हैं। इन्हें उपहार या सजावट के लिए उपयोग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया से फूलों का मूल्य कई गुना बढ़ जाता है।

फूलों के तेल: गुलाब, चमेली, लैवेंडर और गेंदा से सुगंधित तेल निकाला जाता है। इन तेलों का उपयोग अरोमा थेरेपी, परफ्यूम और कॉस्मेटिक उत्पादों में किया जाता है। फूलों से प्राप्त तेल का बाजार मूल्य बहुत अधिक होता है। यह व्यवसाय फूलों से सीधे बिक्री से कई गुना अधिक लाभकारी हो सकता है। इस प्रकार का मूल्य संवर्धन फूलों की आर्थिक क्षमता को बढ़ाता है।

फूलों से बने सजावटी उत्पाद: फूलों से बने क्राफ्ट्स, बुके और अन्य सजावटी सामान जैसे फूल मालाएं, वॉल हैंगिंग, बटन होल, विभिन्न प्रकार के गुलदस्ते, पॉट पौरी आदि बहुत लोकप्रिय हैं। इन उत्पादों का विशेष रूप से शादी, त्योहार और अन्य आयोजनों में उपयोग किया जाता है। फूलों की रंगोली, फ्लोरल आर्ट्स और सजावटी रूप में उपयोग करके फूलों को और भी आकर्षक एवं कीमती बनाया जा सकता है। इस प्रकार के उत्पादों की मांग अधिक होती है और इससे व्यापार में लाभ बढ़ता है।

पौधे और नर्सरी: बागवानी और घरेलू सजावट के लिए फूलों के पौधों का उत्पादन और बिक्री करना एक और मूल्य संवर्धन का तरीका है। नर्सरी व्यवसाय में फूलों के पौधे और बीज बेचे जाते हैं, जो सजावटी पौधे के रूप में लोकप्रिय हैं। ग्रीनहाउस तकनीक के माध्यम से यह पौधे साल भर उगाए जा सकते हैं, इससे लगातार बाजार में आपूर्ति बनी रहती है और अच्छी कीमत मिलती है।

सरकार द्वारा मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहन: सीएसआईआर-फ्लोरिकल्चर मिशन को भारत के 22 राज्यों में लागू किया गया है। इसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाने और सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके उच्च मूल्य वाले फूलों की खेती तथा उनका मूल्य संवर्धन के माध्यम से उद्यमिता विकसित करना तथा किसानों की आय बढ़ाना है। इस मिशन द्वारा मुख्य रूप से उत्पाद बनाने के साथ-साथ मार्केटिंग का प्रशिक्षण देने का कार्य किया जा रहा है। मूल्य संवर्धन उत्पादों को तीन भिन्न श्रेणी में रखा गया है:
  • श्रेणी-1: हर्बल गुलाल, हर्बल सिंदूर, निर्जलित पुष्प शिल्प (डीहाइड्रेटेड फ्लोरल क्राफ्ट), अगरबत्ती और धूप।
  • श्रेणी-2: कपड़ा उद्योगों में उपयोग के लिए रोडोडेंड्रोन, गुलाब, गेंदा, ऑरहूल इत्यादि से प्राकृतिक रंगों की स्थिरता के लिए प्रौद्योगिकी का विकास।
  • श्रेणी-3: रजनीगंधा, गुलाब, चमेली आदि से आवश्यक तेलों का निष्कर्षण।

भारत सरकार के इस मिशन द्वारा की गई पहल से विकसित नई प्रौद्योगिकियों के माध्यम से फूलों की खेती, कॉस्मेटिक, वस्त्र और इत्र उद्योगों द्वारा अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।


फूलों से बने खाद्य उत्पाद: फूलों का उपयोग खाद्य उत्पादों में भी बहुतायत से किया जाता है, जैसे कि गुलाब की पंखुड़ियों का गुलकंद बनाने, चाय और खाद्य सजावट में प्रयोग किया जाता है। इनसे न केवल खाद्य उत्पादों का स्वाद और गुणवत्ता बढ़ती है, बल्कि बाजार में इन उत्पादों की कीमत भी अधिक होती है। लैवेंडर, गुलाब और कैमोमाइल फूलों का उपयोग हर्बल चाय में किया जा सकता है। यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है और इसकी बाजार में मांग निरंतर बढ़ती जा रही है।


पुष्पों के मूल्य संवर्धन से मिली सफलता: भारत में पुष्पों के मूल्य संवर्धन की कई सफलता गाथाएं हैं। इनमें किसानों ने आधुनिक तकनीकों और सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर आय और बाजार में अपनी स्थिति को बेहतर बनाया तथा पुष्पों में मूल्य संवर्धन का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। इनमें से एक सफलता गाथा महामाया महिला समूह की है जिसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में एक छोटे पैमाने पर हुई थी, जहां महिलाएं केवल कटे हुए फूल बेचती थीं। इनका मुख्य बाजार शादी और त्योहारों पर निर्भर था। यह मौसमी कारोबार होने के कारण बहुत अधिक लाभदायक नहीं था। लेकिन उन्होंने सरकार द्वारा संचालित योजनाओं जैसे कि राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड और मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर की सहायता ली, एवं अपने व्यवसाय में मूल्य संवर्धन को जोड़ा। इसमें इस समूह द्वारा फूलों का प्रसंस्करण और गुलकंद निर्माण, इत्र एवं सुगंधित उत्पादों का निर्माण, सुखाए गए फूलों का उपयोग और सजावटी पैकेजिंग करके इस समूह की आय में चार गुना तक वृद्धि की गई है। इससे उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला। समूह ने अपने फूलों के उत्पादों को स्थानीय बाजारों से निकालकर बड़े शहरों और यहां तक कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी पहुंचाया। इन महिलाओं ने यह साबित किया कि सही योजनाओं, तकनीक और समर्पण से पुष्पों के मूल्य संवर्धन के माध्यम से न केवल आय बढ़ाई जा सकती है, बल्कि एक स्थायी और लाभकारी व्यवसाय भी स्थापित किया जा सकता है।


प्राकृतिक रंग और सौंदर्य उत्पाद: कुछ फूलों से प्राकृतिक रंग बनाए जा सकते हैं, जो वस्त्र उद्योग में, खाद्य उद्योग में या कॉस्मेटिक्स में उपयोग किए जाते हैं। यह रंग रासायनिक रंगों से अधिक सुरक्षित होते हैं। इनकी बाजार में मांग अधिक होती है। फूलों से बने फेस पैक, क्रीम, लोशन और अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट्स तैयार किए जा सकते हैं। जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण यह एक लाभकारी व्यवसाय बन सकता है।

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