शुष्क पुष्प: एक उभरता हुआ आकर्षक व्यवसाय। भारत में सूखे फूलों का उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, जिसकी वैश्विक स्तर पर भारी मांग है। अमेरिका, जापान और यूरोप जैसे देशों में निर्यात की अपार संभावनाएं हैं। यह न केवल किसानों के लिए आय का एक बेहतरीन स्रोत है, बल्कि महिला सशक्तिकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सूखे फूलों से हस्तशिल्प, सजावटी सामान और भी बहुत कुछ बनाया जा सकता है। इस लाभप्रद और पर्यावरण-अनुकूल व्यवसाय से जुड़ें और विकास की अपार संभावनाओं का लाभ उठाएं।
वर्तमान में भारतीय और विदेशी बाजारों में शुष्क पुष्प की अच्छी मांग है। भारत से इसका निर्यात अमेरिका, जापान और यूरोप तक होता है। शुष्क पुष्प निर्यात में भारत, विश्व में पहले स्थान पर है। शुष्क पुष्प से तात्पर्य केवल फूल से ही नहीं है, बल्कि इसके तहत शुष्क तना, बीज, कलियाँ आदि भी शामिल हैं। विभिन्न रंगों के शुष्क पुष्प से फ्रेम जड़ित तस्वीरें, बधाई कार्ड, कवर पुष्पगुच्छ, मोमबत्ती स्टैंड बनते हैं। शुष्क पुष्प से वॉल पिक्चर, कैलेंडर, पॉट-पौरी, वॉल हैंगिंग, पुष्प विन्यास, गुलदस्ते, पुष्प चक्र भी बनाए जा सकते हैं। इस तकनीक को महिला सशक्तिकरण से जोड़कर देखा जा रहा है। इससे महिलाएं रोजगार और आय अर्जित कर सकती हैं।
बिहार में शुष्क पुष्प (ड्राई फ्लावर) उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। बेरोजगार युवा शुष्क पुष्प के कारोबार को व्यवसाय के रूप में अपनाकर आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। राज्य में विभिन्न प्रकार की घास, पत्तियां और खरपतवार मिलते हैं। इनका उपयोग सूखे फूलों के उत्पाद बनाने में किया जा सकता है। ग्रामीण स्तर पर कुटीर उद्योग के माध्यम से कारोबार चलाया जा सकता है। शुष्क पुष्प की मांग दिनोंदिन बढ़ रही है। भारत में कुल पुष्प निर्यात में 70 प्रतिशत भागीदारी शुष्क पुष्प की है।
शुष्क पुष्प उत्पादन के चरण:
(क) सुखाना
- फूलों के काटने व सुखाने का उचित समय: फूलों की कटाई सुबह के समय पौधों पर से ओंस की बूंदे सूखने के बाद करनी चाहिए। काटने के बाद उसे रबर बैंड की मदद से गुच्छे में रख देना चाहिए और जितनी जल्दी हो सके, धूप से हटा देना चाहिए।
- सूर्य की रोशनी में सुखाना: सूर्य की रोशनी में सुखाने की तकनीक सबसे आसान और सस्ती है। लेकिन वर्षा के मौसम में इस तकनीक से फूलों को नहीं सुखा सकते। फूलों के गुच्छों को रस्सियों या बांस में उल्टा लटका कर सुखाया जाता है। इसमें किसी रसायन का इस्तेमाल नहीं होता। केवल अच्छी हवा की जरूरत पड़ती है। इस तरीके में फफूंद लगने की आशंका सर्वाधिक होती है।
- जमाकर सुखाना: यह सूर्य की रोशनी में सुखाने की तकनीक से उन्नत तकनीक है। जमाकर सुखाने के लिए आवश्यक यंत्र महंगे होते हैं। लेकिन इस तकनीक से सुखाए गए फूलों की गुणवत्ता अच्छी होती है और उनकी कीमत भी अधिक मिलती है।
- दबाना: इसमें सोख्ता या साधारण कागज का इस्तेमाल किया जाता है। फूल सपाट हो जाते हैं और इस तकनीक से फूलों के क्षतिग्रस्त होने की आशंका अधिक होती है।
- पॉलीसेट पॉलीमर: पॉलीसेट पॉलीमर के छिड़काव से फूल सूख जाते हैं। इस तकनीक में सूखने का समय बहुत कम होता है। इससे अंतिम उत्पाद का रंग उन्नत होता है।
- सिलिका सोख्ता: सिलिका या सिलिका जेल का इस्तेमाल कर फूलों की गुणवत्ता बढ़ा सकते हैं और इससे फूल साबुत रहते हैं। इस तकनीक से बहुत जटिल फूल और पौधे सुखाए जाते हैं।
(ख) रंगाई: शुष्क फूलों के लिए प्रोसियन रंग सर्वश्रेष्ठ होते हैं। चार किलोग्राम रंग का पाउडर लेकर उसे 20 लीटर पानी में मिलाएं। इस घोल को 800 लीटर गर्म पानी में मिला दें। इसमें 2 लीटर एसिटिक एसिड मिलाएं। बहुत नर्म फूलों का रंग सुधारने के लिए मैग्नीशियम क्लोराइड मिलाएं। शुष्क फूलों को तब तक भिगोएं, जब तक उन पर रंग न चढ़ जाए।
फूल और पौधे के भाग: इस वर्ग में बेला, चमेली, अमलतास और नारियल के पत्ते आते हैं। इसमें सूखे पत्ते और तने भी शामिल हैं, जो खाली जगह को भरने के काम आते हैं।
शुष्क पुष्प उत्पाद:
- गुलदस्ता: यह सुगंधित फूलों का मिश्रण है, जिसे पॉलिथीन बैग में रखा जाता है। इस तकनीक में 300 से अधिक किस्म के पौधों का इस्तेमाल होता है। सुगंधा, बेला, चमेली, गुलाब की पंखुड़ियां, बोगनविलिया, नीम के पत्ते और कड़े फल भारत में आमतौर पर इस्तेमाल होते हैं।
- शुष्क पुष्प गमले: इसमें सूखे हुए तने और डालियों का इस्तेमाल होता है। हालांकि बाजार में इसकी मांग काफी कम है लेकिन इसकी कीमत अधिक मिलती है और उच्च आय वर्ग के लोग इसे काफी पसंद करते हैं। इसमें सामान्य तौर पर इस्तेमाल होने वाली सामग्री में सूखे सूती कपड़े, सूखी मिर्च, सूखे टिंडे, घास, चमेली, फर्न के पत्ते तथा अन्य उत्पाद शामिल हैं।
- शुष्क पुष्प हस्तकला: शुष्क पुष्प बाजार में यह नवीनतम विकास है। विभिन्न रंगों के शुष्क पुष्प से फ्रेम जड़ित तस्वीरें, बधाई कार्ड कवर, पुष्पगुच्छ, मोमबत्ती स्टैंड, शीशे की कटोरी आदि उत्पाद बनाए जाते हैं।
- शुष्क पुष्प किफायती और लंबे समय तक चलने वाले, ताजे फूलों की तुलना में कई बार पुन: उपयोग किए जा सकते हैं।
- साल भर उपलब्ध रहते हैं और सस्ते होते हैं।
- पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और आसानी से बायोडिग्रेडेबल होते हैं।
- सूखे फूलों की व्यवस्था समय बचाने वाली है और यह आधुनिक समय के अनुकूल है।
- सूखे फूल की तकनीक इतनी आसान है कि इसे कोई भी सीखकर अपना व्यवसाय शुरू कर सकता है। सूखे फूल के व्यापार में पांच सौ से अधिक सूखे फूल निर्यात किए जाते हैं। इस उद्योग की सालाना वृद्धि 10 से 15 प्रतिशत है।
- यह व्यापार किसानों के लिए एक वरदान साबित होगा जो उनकी आय बढ़ाने के साथ-साथ रहन-सहन का स्तर में भी सुधार करेगा।
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