उच्च रक्तचाप के कारण: हाई बीपी क्यों होता है और कैसे बचें? Causes of High Blood Pressure: Understanding the Root Factors

उच्च रक्तचाप, जिसे हाइपरटेंशन भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जहाँ धमनियों में रक्त का दबाव लगातार बढ़ा रहता है। यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो हृदय रोग, स्ट्रोक, किडनी रोग और अन्य गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है। इसे अक्सर "खामोश हत्यारा" कहा जाता है क्योंकि इसके शुरुआती चरणों में अक्सर कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं। लेकिन, जब तक लक्षण प्रकट होते हैं, तब तक शरीर को महत्वपूर्ण क्षति हो चुकी होती है।

भारत सहित दुनिया भर में लाखों लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, और इसकी बढ़ती व्यापकता को देखते हुए, इसके कारणों को समझना बेहद महत्वपूर्ण है। कारणों को जानकर ही हम रोकथाम और प्रभावी प्रबंधन की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। तो, आइए विस्तार से जानते हैं कि उच्च रक्तचाप का क्या कारण है और कौन से कारक इसे बढ़ाते हैं।


उच्च रक्तचाप के कारण हाई बीपी क्यों होता है और कैसे बचें Causes of High Blood Pressure Understanding the Root Factors


उच्च रक्तचाप के प्रकार और उनके कारण: उच्च रक्तचाप को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है, जिनके कारण अलग-अलग होते हैं:

प्राथमिक उच्च रक्तचाप (Primary/Essential Hypertension): यह सबसे आम प्रकार का उच्च रक्तचाप है, जो लगभग 90-95% मामलों में देखा जाता है। प्राथमिक उच्च रक्तचाप का कोई एक विशिष्ट या ज्ञात कारण नहीं होता है। यह अक्सर कई कारकों के संयोजन से धीरे-धीरे विकसित होता है, जो वर्षों तक अनियंत्रित रह सकते हैं।

प्राथमिक उच्च रक्तचाप के प्रमुख कारण और जोखिम कारक:
  • उम्र (Age): उम्र बढ़ने के साथ उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ता है। धमनियां समय के साथ कठोर और कम लचीली हो जाती हैं, जिससे रक्तचाप बढ़ जाता है।
  • पारिवारिक इतिहास (Family History/Genetics): यदि आपके माता-पिता या परिवार के किसी करीबी सदस्य को उच्च रक्तचाप है, तो आपको भी इसके विकसित होने की अधिक संभावना है। आनुवंशिक प्रवृत्ति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • मोटापा और अधिक वजन (Obesity and Overweight): शरीर का अत्यधिक वजन हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालता है। अधिक वसा ऊतक (fat tissue) को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जिससे रक्त वाहिकाओं में रक्त की मात्रा बढ़ जाती है और रक्तचाप बढ़ जाता है।
  • शारीरिक निष्क्रियता (Physical Inactivity): नियमित व्यायाम न करना रक्तचाप को बढ़ा सकता है। सक्रिय रहने से हृदय मजबूत होता है और अधिक कुशलता से रक्त पंप करता है, जिससे धमनियों पर दबाव कम होता है।
  • उच्च नमक का सेवन (High Sodium Intake): आहार में बहुत अधिक नमक, विशेष रूप से प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों (processed foods) से, शरीर में तरल पदार्थ को बढ़ा सकता है, जिससे रक्तचाप में वृद्धि होती है।
  • कम पोटेशियम का सेवन (Low Potassium Intake): पोटेशियम रक्त में सोडियम के स्तर को संतुलित करने में मदद करता है। पर्याप्त पोटेशियम न मिलने से शरीर में सोडियम का स्तर बढ़ सकता है, जिससे रक्तचाप बढ़ता है।
  • अत्यधिक शराब का सेवन (Excessive Alcohol Consumption): बहुत अधिक शराब पीने से रक्तचाप बढ़ सकता है। यह रेनिन-एंजियोटेंसिन प्रणाली (renin-angiotensin system) को प्रभावित कर सकता है और रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर सकता है।
  • तनाव (Stress): उच्च स्तर का तनाव अस्थायी रूप से रक्तचाप को बढ़ा सकता है। तनाव से लड़ने के लिए शरीर द्वारा जारी हार्मोन (जैसे एड्रेनालाईन) रक्त वाहिकाओं को संकीर्ण कर सकते हैं और हृदय गति बढ़ा सकते हैं। दीर्घकालिक तनाव भी अप्रत्यक्ष रूप से अनहेल्दी आदतों (जैसे अधिक खाना, धूम्रपान, शराब) को बढ़ावा दे सकता है।
  • धूम्रपान (Smoking): धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और उन्हें संकीर्ण करता है, जिससे रक्तचाप बढ़ जाता है। निकोटीन एक उत्तेजक है जो रक्तचाप को तत्काल बढ़ा सकता है।
  • कुछ पुरानी स्थितियां (Certain Chronic Conditions): मधुमेह, नींद एप्निया (sleep apnea) और कुछ थायराइड विकार जैसी स्थितियां प्राथमिक उच्च रक्तचाप के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।

द्वितीयक उच्च रक्तचाप (Secondary Hypertension): द्वितीयक उच्च रक्तचाप का मतलब है कि रक्तचाप का बढ़ा हुआ स्तर किसी अंतर्निहित (underlying) चिकित्सा स्थिति या दवा के दुष्प्रभाव के कारण होता है। यह प्राथमिक उच्च रक्तचाप की तुलना में कम आम है, लेकिन जब यह होता है, तो रक्तचाप अक्सर प्राथमिक उच्च रक्तचाप की तुलना में अचानक अधिक बढ़ जाता है। अंतर्निहित स्थिति का इलाज करने से अक्सर रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

द्वितीयक उच्च रक्तचाप के प्रमुख कारण:
  • किडनी रोग (Kidney Disease): किडनी रक्तचाप को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यदि किडनी ठीक से काम नहीं कर रही हैं (जैसे कि क्रोनिक किडनी रोग), तो वे शरीर से अतिरिक्त नमक और पानी को प्रभावी ढंग से बाहर नहीं निकाल पाती हैं, जिससे रक्तचाप बढ़ जाता है। किडनी की धमनियों का संकुचित होना (गुर्दे की धमनी स्टेनोसिस) भी रक्तचाप बढ़ा सकता है।
  • थायराइड की समस्याएं (Thyroid Problems): हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism): अत्यधिक थायराइड हार्मोन हृदय गति और शक्ति को बढ़ा सकता है, जिससे रक्तचाप बढ़ सकता है।
  • हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism): अपर्याप्त थायराइड हार्मोन भी रक्त वाहिकाओं के प्रतिरोध को बढ़ाकर रक्तचाप को प्रभावित कर सकता है।
  • एड्रेनल ग्रंथि ट्यूमर (Adrenal Gland Tumors): एड्रेनल ग्रंथियां हार्मोन का उत्पादन करती हैं जो रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं। एल्डोस्टेरोनोमा (Aldosteronoma): एल्डोस्टेरोन के अत्यधिक उत्पादन से शरीर में सोडियम और पानी का प्रतिधारण होता है, जिससे रक्तचाप बढ़ जाता है।फियोक्रोमोसाइटोमा (Pheochromocytoma): यह ट्यूमर एड्रेनालाईन और नॉरएड्रेनालाईन नामक हार्मोन का अत्यधिक उत्पादन करता है, जिससे रक्तचाप में अचानक और खतरनाक वृद्धि हो सकती है।
  • जन्मजात हृदय दोष (Congenital Heart Defects): कुछ बच्चे दिल में संरचनात्मक समस्याओं के साथ पैदा होते हैं जो रक्तचाप को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि महाधमनी का संकुचन (coarctation of the aorta)।
  • नींद एप्निया (Sleep Apnea): यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें नींद के दौरान व्यक्ति की सांस बार-बार रुकती और शुरू होती है। इससे रक्त में ऑक्सीजन का स्तर गिर जाता है, जिससे रक्त वाहिकाओं को नुकसान होता है और रक्तचाप बढ़ जाता है।
  • कुछ दवाएं (Certain Medications): कई दवाएं रक्तचाप को दुष्प्रभाव के रूप में बढ़ा सकती हैं। इनमें शामिल हैं: जन्म नियंत्रण गोलियाँ (Birth control pills), सर्दी और फ्लू की दवाएं (Decongestants), दर्द निवारक दवाएं, जैसे नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs), कुछ एंटीडिप्रेसेंट (Antidepressants), कुछ प्रतिरक्षादमनकारी दवाएं (Immunosuppressants), स्टेरॉयड (Steroids)
  • अवैध ड्रग्स (Illicit Drugs): कोकीन, एम्फ़ैटेमिन और मेथाम्फेटामाइन जैसी दवाएं रक्तचाप को खतरनाक स्तर तक बढ़ा सकती हैं।
  • गर्भावस्था (Pregnancy): कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप विकसित हो सकता है, जिसे गर्भकालीन उच्च रक्तचाप (gestational hypertension) या प्री-एक्लेम्पसिया (pre-eclampsia) कहा जाता है। यह आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में यह दीर्घकालिक उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है।


उच्च रक्तचाप के जोखिम कारक जिन्हें बदला जा सकता है (Modifiable Risk Factors): यह जानना महत्वपूर्ण है कि कई जोखिम कारक ऐसे हैं जिन्हें जीवनशैली में बदलाव करके नियंत्रित या कम किया जा सकता है:
  • असंतुलित आहार: वसा, नमक और चीनी में उच्च आहार।
  • शारीरिक गतिविधि की कमी: गतिहीन जीवन शैली।
  • मोटापा: स्वस्थ वजन बनाए रखना।
  • धूम्रपान: धूम्रपान छोड़ना।
  • अत्यधिक शराब का सेवन: शराब का सेवन सीमित करना।
  • तनाव प्रबंधन की कमी: प्रभावी तनाव प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करना।
  • खराब नींद की गुणवत्ता: पर्याप्त और अच्छी नींद लेना।


उच्च रक्तचाप के जोखिम कारक जिन्हें बदला नहीं जा सकता (Non-Modifiable Risk Factors): कुछ जोखिम कारक ऐसे होते हैं जिन्हें हम बदल नहीं सकते, लेकिन उनकी जानकारी होना महत्वपूर्ण है ताकि हम अन्य कारकों पर अधिक ध्यान दे सकें:
  • उम्र: जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ता है।
  • पारिवारिक इतिहास और आनुवंशिकी: यदि आपके परिवार में उच्च रक्तचाप का इतिहास है, तो आपको अधिक सतर्क रहना चाहिए।
  • लिंग: 64 वर्ष की आयु तक पुरुषों में उच्च रक्तचाप विकसित होने की अधिक संभावना होती है, जबकि 65 वर्ष और उससे अधिक आयु में महिलाओं में अधिक संभावना होती है।
  • जाति: कुछ जातीय समूह, जैसे अफ्रीकी-अमेरिकी, में उच्च रक्तचाप विकसित होने और अधिक गंभीर जटिलताओं का अनुभव करने की अधिक संभावना होती है।


उच्च रक्तचाप की जटिलताएं: यदि उच्च रक्तचाप का इलाज न किया जाए, तो यह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है:
  • हृदय रोग: दिल का दौरा (heart attack), दिल की विफलता (heart failure), एनजाइना (angina)।
  • स्ट्रोक (Stroke): मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति में बाधा।
  • किडनी रोग: किडनी की कार्यक्षमता में कमी या विफलता।
  • नेत्र रोग (Eye problems): रेटिनोपैथी (retinopathy) और दृष्टि हानि।
  • धमनीविस्फार (Aneurysm): रक्त वाहिकाओं में कमजोर, उभरे हुए क्षेत्र।
  • परिधीय धमनी रोग (Peripheral artery disease): पैरों और बाहों में धमनियों का संकुचित होना।
  • संज्ञानात्मक हानि (Cognitive impairment): याददाश्त और सोचने की क्षमता में कमी।


उच्च रक्तचाप का निदान और रोकथाम: चूंकि उच्च रक्तचाप अक्सर बिना लक्षणों के होता है, इसलिए इसका नियमित रूप से जांच करवाना महत्वपूर्ण है। डॉक्टर के पास नियमित दौरे और घर पर रक्तचाप की निगरानी से इसका शीघ्र निदान करने में मदद मिल सकती है।

उच्च रक्तचाप की रोकथाम और प्रबंधन के लिए जीवनशैली में बदलाव:
  • स्वस्थ आहार: फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाले डेयरी उत्पादों से भरपूर आहार लें। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, संतृप्त वसा, ट्रांस वसा, चीनी और नमक का सेवन सीमित करें।
  • नियमित व्यायाम: अधिकांश दिनों में कम से कम 30 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि करें।
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें: यदि आपका वजन अधिक है या आप मोटापे से ग्रस्त हैं, तो वजन कम करने से रक्तचाप में उल्लेखनीय कमी आ सकती है।
  • नमक का सेवन सीमित करें: प्रतिदिन 2,300 मिलीग्राम (लगभग एक चम्मच) से कम सोडियम का लक्ष्य रखें; उच्च रक्तचाप वाले कुछ लोगों के लिए यह 1,500 मिलीग्राम से कम हो सकता है।
  • अत्यधिक शराब का सेवन न करें: पुरुषों के लिए प्रति दिन दो से अधिक पेय और महिलाओं के लिए प्रति दिन एक से अधिक पेय नहीं।
  • धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान छोड़ने से आपके रक्तचाप में सुधार होगा और हृदय रोग का खतरा कम होगा।
  • तनाव का प्रबंधन करें: तनाव को प्रबंधित करने के स्वस्थ तरीके खोजें, जैसे योग, ध्यान, गहरी सांस लेना या शौक में शामिल होना।
  • पर्याप्त नींद लें: हर रात 7-9 घंटे की गुणवत्तापूर्ण नींद का लक्ष्य रखें।
  • नियमित स्वास्थ्य जांच: अपने रक्तचाप की नियमित रूप से जांच करवाएं और अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें।

उच्च रक्तचाप एक जटिल स्थिति है जिसके कई कारण और जोखिम कारक होते हैं। जबकि कुछ कारक हमारे नियंत्रण से बाहर होते हैं, जीवनशैली में स्वस्थ बदलाव करके हम प्राथमिक उच्च रक्तचाप के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं और द्वितीयक उच्च रक्तचाप के मामलों में अंतर्निहित स्थिति का इलाज करके इसे नियंत्रित कर सकते हैं।

अपने रक्तचाप के बारे में जागरूक रहना, नियमित जांच करवाना और डॉक्टर की सलाह का पालन करना इस "खामोश हत्यारे" से लड़ने में सबसे महत्वपूर्ण कदम हैं। याद रखें, जानकारी ही शक्ति है, और अपने स्वास्थ्य की देखभाल करना आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

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